UP Politics : बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की अध्यक्ष मायावती ने मंगलवार को हरियाणा में एक चुनावी रैली में जातिवाद के खिलाफ सख्त रुख जताया।
उन्होंने कहा कि जातिवाद फैलाने वाले लोग संविधान के विरुद्ध कार्य कर रहे हैं। मायावती ने एससी-एसटी समुदाय के लिए ‘हरिजन’ शब्द के प्रयोग पर आपत्ति जताते हुए इसे अपमानजनक करार दिया। उन्होंने यह भी याद दिलाया कि 1997 में एक सम्मेलन में उन्होंने सार्वजनिक रूप से ‘हरिजन’ शब्द के इस्तेमाल की आलोचना की थी। जाति आधारित भेदभाव को समाप्त करने का आह्वान करते हुए, उन्होंने सभी से संविधान के सिद्धांतों का पालन करने की अपील की।
मायावती ने कहा, “लोगों को बाबा साहेब के बारे में जानकारी है, लेकिन यह भी जानना जरूरी है कि एससी/एसटी समुदाय के लिए कौन सा शब्द उपयुक्त है। मुझे याद है कि 1977 में, जब मैं कानून की पढ़ाई कर रही थी और दिल्ली विश्वविद्यालय में एलएलबी के प्रथम वर्ष की छात्रा थी। उसी साल जनता पार्टी सत्ता में आई थी और उन्होंने कहा था कि वे बाबू जगजीवन राम को प्रधानमंत्री बनाएंगे। लेकिन न तो कांग्रेस ने उन्हें प्रधानमंत्री बनाया और न ही जनता पार्टी ने अपने वादे को पूरा किया।”
मायावती के अनुसार, “इसके बाद जनता पार्टी के नेताओं ने माफी मांगी और इस पर सहमति व्यक्त की कि संविधान के अनुसार एससी, एसटी और ओबीसी जैसे शब्दों का उपयोग करना अधिक उचित होगा। उन्हें यह मानना पड़ा कि बहनजी जो कह रही थीं, वह सही था।”
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इस वक्तव्य से यह स्पष्ट होता है कि मायावती की बातों को जिम्मेदार नेताओं ने स्वीकार किया और उन्होंने अपने पूर्व के दृष्टिकोण पर पुनर्विचार किया। यह घटनाक्रम इस बात का एक उदाहरण है कि कैसे संवैधानिक मानदंडों के प्रति सम्मान स्थापित किया जा सकता है।