Mau News: उत्तर प्रदेश के मऊ जिले से मानवता को झकझोर देने वाला मामला सामने आया है। गुलाबचंद्र नामक एक बुजुर्ग ने अपनी पत्नी का शव ठेले पर रखकर 50 किलोमीटर की यात्रा पैदल तय की। उनकी पत्नी की मौत इलाज के दौरान बलिया के नगरा में हुई थी। गुलाबचंद्र के चार बच्चे हैं, लेकिन सभी उनसे अलग रहते हैं। पत्नी की बीमारी के दौरान किसी ने मदद नहीं की, और आखिरकार इलाज के दौरान उसने दम तोड़ दिया। अंतिम संस्कार के लिए मदद की अपील करने के बावजूद जब कोई सामने नहीं आया, तो गुलाबचंद्र ने खुद अपनी पत्नी के शव को ठेले पर रखा और घर की ओर चल पड़े।
बच्चों ने छोड़ा अकेला
गुलाबचंद्र की जिंदगी संघर्षों से भरी है। उनकी चार संतानों ने उन्हें अकेला छोड़ दिया। ऐसे में वह मजदूरी करके पत्नी के इलाज का खर्च उठाते रहे। शनिवार को वह अपनी पत्नी को इलाज के लिए बलिया के नगरा ले गए, लेकिन वहां उसकी मौत हो गई। पत्नी को अस्पताल से घर ले जाने के लिए गुलाबचंद्र ने स्थानीय लोगों से मदद मांगी, मगर किसी ने उनकी सहायता नहीं की।
झाड़-फूंक और उम्मीद
गुलाबचंद्र ने अपनी पत्नी को बचाने के लिए आखिरी प्रयास करते हुए उसे झाड़-फूंक कराने के लिए नगरा ले गए थे। लेकिन इलाज के बाद भी उनकी पत्नी को बचाया नहीं जा सका। किसी साधन के अभाव में उन्होंने अपनी पत्नी के शव को ठेले पर रखा और 50 किलोमीटर दूर मऊ के दादनपुर गांव तक पैदल चले।
Mau पुलिस बनी सहारा
जब यह हृदयविदारक घटना Mau पुलिस के संज्ञान में आई, तो घोसी के कोतवाल ने मामले की जिम्मेदारी ली। उन्होंने गुलाबचंद्र की मदद करते हुए उनके गांव दादनपुर अहिरौली तक शव पहुंचाया और अंतिम संस्कार का पूरा खर्च भी उठाया।
समाज के लिए सवाल
यह घटना न केवल बुजुर्गों की दुर्दशा को उजागर करती है, बल्कि समाज के बदलते स्वरूप पर भी सवाल खड़े करती है। माता-पिता अपने बच्चों के लिए जीवनभर संघर्ष करते हैं, लेकिन कई बार बच्चे बड़े होकर उन्हें अकेला छोड़ देते हैं। गुलाबचंद्र की इस घटना ने इंसानियत को झकझोर कर रख दिया है और हमें यह सोचने पर मजबूर किया है कि आखिर हम किस ओर जा रहे हैं।