Uttar Pradesh : यूपीएससी की परीक्षा को देश की सबसे कठिन परीक्षाओं में से एक माना जाता है। हर साल लाखों छात्र इस परीक्षा में भाग लेते हैं, लेकिन सिर्फ 1000 से 1200 छात्रों का ही चयन होता है। इनमें से कुछ आईएएस, कुछ आईपीएस, कुछ आईएफएस और कुछ आईआरएस बनते हैं। इस परीक्षा की तैयारी करने वाले छात्रों में एक गाँव है, जिसे ‘यूपीएससी की फैक्ट्री’ कहा जाता है।
माधोपट्टी गाँव का परिचय
यह गाँव उत्तर प्रदेश के जौनपुर जिले में स्थित है और इसका नाम माधोपट्टी है। जौनपुर शहर से इस गाँव की दूरी लगभग 7 किलोमीटर है। इस गाँव की विशेषता यह है कि यहाँ से अब तक 40 से अधिक आईएएस, आईपीएस और पीसीएस अधिकारी निकल चुके हैं। ये अधिकारी न केवल अपने गाँव का बल्कि अपने जिले का भी नाम रोशन कर रहे हैं।
गाँव की जनसंख्या और शिक्षा का माहौल
माधोपट्टी गाँव की आबादी लगभग 4000 है और यहाँ करीब 75 घर हैं। इस गाँव के लोग शिक्षा को बहुत महत्व देते हैं। यहाँ के छात्र कॉलेज जाते ही यूपीएससी की तैयारी में जुट जाते हैं। यहाँ के बेटे-बेटियाँ दोनों ही प्रशासनिक सेवाओं में सफल हो रहे हैं।
आजादी के बाद का परिवर्तन
भारत की आजादी के बाद इस गाँव के युवाओं में यूपीएससी परीक्षा के प्रति रुचि बढ़ी। 1952 में इंदु प्रकाश सिंह आईएफएस अधिकारी बने, और 1955 में विनय कुमार सिंह आईएएस बने, जो बाद में बिहार राज्य के मुख्य सचिव बने। इस गाँव में चार भाई-बहन भी हैं, जिन्होंने यूपीएससी परीक्षा पास की है।
विविधता में सफलता
माधोपट्टी गाँव से निकले कई आईएएस अधिकारी प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री कार्यालयों में काम कर रहे हैं। इसके अलावा, इस गाँव के कई युवा इसरो, भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र और वर्ल्ड बैंक में भी कार्यरत हैं। यह गाँव सिर्फ प्रशासनिक सेवाओं तक ही सीमित नहीं है; यहाँ के लोग विज्ञान और तकनीकी क्षेत्रों में भी सफल हो रहे हैं।
इस प्रकार, माधोपट्टी गाँव ने यूपीएससी की परीक्षाओं में अपार सफलता हासिल की है और यह साबित किया है कि शिक्षा और समर्पण से कोई भी लक्ष्य प्राप्त किया जा सकता है। इस गाँव का उदाहरण अन्य युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत बन सकता है।