Uttar Pradesh: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक मामले की सुनवाई करते हुए महत्वपूर्ण टिप्पणी की है। कोर्ट ने यौन सुख को पति-पत्नी के झगड़े का मुख्य कारण मानते हुए दहेज प्रताड़ना के आरोपों को निराधार बताया। कोर्ट ने कहा कि यदि पति अपनी शारीरिक इच्छाओं के लिए पत्नी से बात नहीं करेगा, तो यह सभ्य समाज के लिए चिंता का विषय होगा।
कोर्ट ने कहा कि पति-पत्नी के बीच के विवाद शारीरिक संबंध में असंगतियों के कारण हुए हैं, और दहेज की मांग से संबंधित प्रताड़ना के आरोपों को जांच में ठोस सबूत नहीं मिले हैं। कोर्ट ने इस मामले को दोनों के बीच यौन संबंधों पर असहमति के रूप में वर्णित किया।
यह मामला एक महिला द्वारा जुलाई 2018 में पति के खिलाफ दहेज प्रताड़ना और अप्राकृतिक संबंधों का आरोप लगाने के बाद शुरू हुआ। महिला ने बताया कि उनकी शादी दिसंबर 2015 में हुई थी और उसके ससुराल वाले उसे दहेज के लिए प्रताड़ित करते थे।
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महिला ने (Uttar Pradesh) यह भी आरोप लगाया कि उसके पति को शराब की लत है, वह पोर्न फिल्में देखता है और घर में बिना कपड़ों के घूमता है। सिंगापुर में रहने के दौरान भी उसने उसे यातनाएं दीं। इसी के चलते पुलिस ने पति के खिलाफ आईपीसी की धारा 498 के तहत केस दर्ज किया था।
हाईकोर्ट में मामले की सुनवाई कर रहे जस्टिस अनीश कुमार गुप्ता ने कहा कि जांच में दहेज मांगने या प्रताड़ना के आरोपों के समर्थन में कोई ठोस सबूत नहीं मिले, और विवाद का मुख्य कारण यौन संतोष में असहमति है।