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Jaunpur News: जौनपुर के देहरी गांव में मुस्लिम समुदाय के कुछ लोग अपने नामों के साथ हिंदू उपनाम जैसे दूबे और तिवारी जोड़ रहे हैं। उनका दावा है कि उनके पूर्वज हिंदू थे। इसे सांप्रदायिक सद्भाव और अपनी विरासत का सम्मान करने का कदम बताया जा रहा है।
उत्तर प्रदेश के Jaunpur जिले के देहरी गांव में मुस्लिम समुदाय के कुछ लोग अपने नामों के साथ हिंदू उपनाम जोड़कर अपनी पूर्वजों की पहचान को मान्यता दे रहे हैं। लगभग 45 किलोमीटर दूर स्थित इस गांव में दो साल पहले अपनी जड़ों की तलाश शुरू हुई, जिससे अब यह बदलाव देखा जा रहा है।
अपने इतिहास को स्वीकार करने की कोशिश
देहरी गांव के निवासी नौशाद अहमद ने अब अपना नाम नौशाद अहमद दूबे रख लिया है। उन्होंने बताया कि उनके पिता लाल बहादुर दूबे ने इस्लाम कबूल कर अपना नाम लाल बहादुर शेख रखा था। परिवार मूल रूप से आजमगढ़ का रहने वाला था।
नौशाद का कहना है कि वह दो साल से दूबे उपनाम का उपयोग कर रहे हैं। इसके साथ ही उन्होंने गायों की सेवा शुरू कर दी है। उन्होंने कहा, “अगर लोग अपनी जड़ों के अनुसार नाम लिखें, तो नफरत आधी हो जाएगी। धर्म और पूजा पद्धति अलग हो सकती है, लेकिन मैं सद्भाव का समर्थन करता हूं।”
इसी गांव के एक अन्य निवासी शेख अब्दुल्ला ने भी अपना नाम शेख अब्दुल्ला दूबे रख लिया है। उन्होंने कहा कि अपने पूर्वजों की पहचान खोजने के बाद यह कदम उठाया। वहीं, एहतिशाम अहमद ने बताया कि उनके पूर्वज भी हिंदू ब्राह्मण थे, लेकिन उन्होंने उपनाम बदलने की जरूरत नहीं समझी।
सवाल उठाती नई पहचान
गौर करने वाली बात यह है कि उपनाम बदलने की यह प्रक्रिया परिवार के हर सदस्य द्वारा नहीं अपनाई जा रही है। अधिकांश मामलों में केवल एक ही व्यक्ति ऐसा कर रहा है। इसने सवाल खड़े किए हैं कि क्या यह कदम किसी बड़े उद्देश्य का हिस्सा है।
देहरी गांव (Jaunpur) का यह प्रयास सांप्रदायिक सौहार्द का प्रतीक माना जा रहा है। हालांकि, इसे लेकर गांव और आसपास के क्षेत्रों में चर्चा तेज हो गई है।