Uttar Pradesh: पुश्तैनी ज़मीन जायदाद को ले कर अक्सर घरों में विवाद देखा गया है। इसके कारण होते हैं बँटवारे के नियमों का सही से ना पता होना ,आपसी समझ की कमी या अपने हक़ की अधूरी जानकारी। जिस वजह से आम जनता को बहुत कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है।लेकिन up सरकार ने कुछ ऐसे नियमों को लागू कर दिया है जिसके अन्तर्गत आप ऐसे संपत्ति का बँटवारा आसानी से कर सकते हैं। और इन नियमों को हर किसी की सुविधा को ध्यान में रख के बनाया गया गई ताकि हर कोई अपनी सुविधानुसार अपना विकल्प चुन लें और आइये जाने क्या वो नियम
मौखिक बटवारा
यह एक पारंपरिक तरीका है,अक्सर ग्रामीण इलाकों में इस प्रक्रिया का पालन किया जाता है इस प्रक्रिया में बुजुर्ग लोग अपनी संपत्ति को शब्दों के जरिए अपने उत्तराधिकारियों में बाँट देते हैं इस बंटवारे में किसी कागजी सबूत की ज़रूरत नहीं होती थी। मौखिक बंटवारे में कोई लिखित प्रमाण नहीं होता, लेकिन जिससे बाद में विवाद हो सकता है।
सहमति बटवारा
इसमें सभी वारिसों (Uttar Pradesh) की आपसी सहमति से संपत्ति का बंटवारा किया जाता है। यह एक लीगल और सही तरीका है, क्योंकि इसमें सभी पक्षों की सहमति शामिल होती है और बंटवारा न्यायिक रूप से भी मान्यता प्राप्त होता है। इस प्रक्रिया में पहले सभी वारिसों के बीच आपसी समझौता होता है फिर यही सहमति तहसील के कार्यालय में जाती है, जहाँ तहसीलदार बंटवारे का आधिकारिक रूप से दस्तावेज़ की सभी प्रक्रिया करता है।
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पारिवारिक समझौता पत्र
इसके अंतर्गत पारिवारिक स्तर पर संपत्ति का बंटवारा किया जाता है, जिसमें सभी वारिसों के हिस्से तय होते हैं। यह बंटवारा एक परिवारिक समझौते के रूप में होता है, और इसमें लोकप्रतिनिधियों (जैसे पंचायत सदस्य या सरपंच) की साक्षी भी होती है। इसमें स्टाम्प पेपर पर सभी वारिसों और साक्षियों के सिग्नेचर होते हैं।
पार्टीशन सूट
इसके अंतर्गत अगर किसी कारणवश परिवार में आपसी सहमति नहीं बन पाती, या अगर एक वारिस संपत्ति का बंटवारा नहीं चाहता है, तो न्यायालय में पार्टीशन सूट दायर किया जा सकता है। इसमें अदालत सभी दस्तावेज़ों, साक्ष्यों और पक्षों की बातों को सुनकर तब निर्णय लेती है। इस प्रक्रिया में कानूनी दस्तावेज़ और अदालत का आदेश होता है, जो भविष्य में संपत्ति के अधिकार को स्पष्ट करता है जिससे बाद में किसी प्रकार का कोई विवाद ना हो।