कैसे लिबरल के हीरो से हिंदुत्व के चहेते बने विकास सर, चौंकाने वाली बदलाव की कहानी

UPSC शिक्षक विकास दिव्यकिर्ती का राजनीतिक रुख अचानक बदला है। जो कभी सरकार की आलोचना करते थे, वे अब मोदी सरकार की तारीफ कर रहे हैं। यह बदलाव बाएं-लिबरल विरोध और हिंदुत्व समर्थकों की प्रशंसा दोनों को जन्म दे रहा है।

Vikas Divyakirti

Vikas Divyakirti News: UPSC कोचिंग जगत के जाने-माने शिक्षक विकास दिव्यकिर्ती ने हाल ही में अपनी राजनीतिक सोच और व्यवहार में बड़े बदलाव के संकेत दिए हैं। जो कभी अपने व्याख्यानों में सरकार की नीतियों की कड़ी आलोचना करते थे, आज वे उसी सरकार की तारीफ करते नजर आ रहे हैं। इस बदलाव ने बाएं-लिबरल वर्ग के बीच उन्हें विरोधी बना दिया है, जबकि अब वे हिंदुत्व समर्थकों के बीच सराहनीय बन गए हैं। यह बदलाव उनके निजी और व्यावसायिक हितों से जुड़ा माना जा रहा है, खासकर तब जब उनकी कोचिंग संस्था “दृष्टि” ने भारतीय सेना के साथ सहयोग समझौता (MOU) किया है। इस नाटकीय परिवर्तन ने राजनीतिक और शैक्षिक हलकों में व्यापक चर्चा को जन्म दिया है।

विपक्ष से विवादित वीडियो तक का सफर

हाल ही में Vikas Divyakirti एक वीडियो क्लिप के कारण विवादों में आए, जिसमें वे UPSC की क्लासेज के अवैध संचालन के आरोपों के बीच सरकार के प्रति क्षमाप्रार्थी मुद्रा में नजर आए। विपक्ष द्वारा वायरल की गई इस क्लिप ने सत्ता पक्ष को असहज कर दिया। इसके बाद दिव्यकिर्ती ने अपने भाषण में इंदिरा गांधी और नरेंद्र मोदी को समान नेता बताया, जो राजनीतिक दृष्टिकोण में उनके गंभीर बदलाव को दर्शाता है। इस दौरान उन्होंने छात्रों को साहिर लुधियानवी का एक शेर सुनाकर आश्वस्त किया कि वे किसी बाहरी दबाव में नहीं हैं।

कोचिंग और सेना के बीच समझौता

उनकी कोचिंग संस्था “दृष्टि” ने भारतीय सेना के साथ एक महत्वपूर्ण MOU किया है, जिसमें सैनिक परिवारों के बच्चों को 50% फीस में छूट का लाभ मिलेगा। यह पहल शिक्षा में सहयोग का उदाहरण मानी जा रही है और इसे सकारात्मक कदम माना जा रहा है। हालांकि, इस समझौते के बाद दिव्यकिर्ती के राजनीतिक रुख में स्पष्ट बदलाव आया है।

बयानबाजी में बदलाव और राजनीतिक संकेत

पहले अपनी कक्षाओं में सरकार की आलोचना करने वाले Vikas Divyakirti अब खुले तौर पर मोदी सरकार की तारीफ करते हैं। वे नेहरू को ‘क्यूट’ कहने जैसे बयान देते हैं, जिससे उनका नजरिया काफी अलग दिखता है। उनका यह परिवर्तन कुछ विश्लेषकों द्वारा निजी लाभ और व्यावसायिक मजबूरियों से जोड़कर देखा जा रहा है।

लिबरलों के विरोध में, हिंदुत्व समर्थकों के समर्थन में

यह बदलाव लिबरल विचारधारा वाले समर्थकों के लिए एक बड़ा झटका साबित हुआ है। जो उन्हें पहले सहायक और आलोचक मानते थे, वे अब उन्हें विरोधी मानने लगे हैं। वहीं, जो पहले उनके आलोचक थे, खासकर हिंदुत्व समर्थक, वे अब उन्हें एक पक्षधर और सहयोगी के रूप में देखने लगे हैं। इस अप्रत्याशित बदलाव ने शिक्षा और राजनीति के बीच की कड़ियों पर नई बहस छेड़ी है।

Vikas Divyakirti का यह परिवर्तन केवल एक व्यक्तिगत सोच का प्रतिबिंब नहीं, बल्कि राजनीतिक और व्यावसायिक कारणों से प्रेरित माना जा रहा है। यह मामला शिक्षा और राजनीति के बीच बढ़ती गहराई को उजागर करता है, जहां शिक्षक भी कभी-कभी परिस्थितियों के दबाव में अपने विचार बदलते नजर आते हैं।

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