UP SIR process: उत्तर प्रदेश में सीमित पहचान संख्या संशोधन (SIR) प्रक्रिया के तहत कुछ मतदाताओं के पहचान पत्रों में एक ही एपिक नंबर (EPIC Number) होने की बात सामने आने पर सवाल खड़े हुए हैं। चुनाव आयोग ने स्पष्ट किया है कि कुछ मामलों में एक ही अल्फान्यूमेरिक कोड दो वोटरों को आवंटित हो सकता है, लेकिन उनकी जनसांख्यिकी और मतदान क्षेत्र का विवरण अलग होता है। आयोग ने भरोसा दिलाया है कि यह स्थिति फर्जी मतदान का कारण नहीं बनती, बल्कि मतदाता सत्यापन की सटीकता सुनिश्चित करने के लिए डिजिटल सिस्टम में सुधार की प्रक्रिया का हिस्सा है। (40 शब्द)
क्या है EPIC नंबर और क्यों उठा विवाद?
देश में वोटरों की पहचान का सबसे महत्वपूर्ण दस्तावेज मतदाता पहचान पत्र या वोटर आईडी होता है, जिसे भारत निर्वाचन आयोग (ECI) हर योग्य वोटर को प्रदान करता है। आयोग चुनावी व्यवस्था को पारदर्शी और सुव्यवस्थित बनाने के लिए हर मतदाता को एक विशिष्ट पहचान संख्या प्रदान करता है, जिसे एपिक नंबर (EPIC – Electors Photo Identity Card Number) कहा जाता है। यह एक अल्फान्यूमेरिक कोड है, जो नई श्रृंखला में 10 अक्षरों का होता है। यह नंबर न केवल मतदान के लिए अनिवार्य है, बल्कि इसे प्राथमिक पहचान प्रमाण, पता प्रमाण और आयु प्रमाण के रूप में भी इस्तेमाल किया जाता है, जैसे कि पासपोर्ट आवेदन या बैंक खाता खोलने जैसी कई सरकारी और गैर-सरकारी सेवाओं में। (120 शब्द)
एकाधिक EPIC नंबर पर आयोग की सफाई
UP में सीमित पहचान संख्या संशोधन (SIR – Limited Identity Number Modification) प्रक्रिया के दौरान यह बात सामने आई कि कुछ मतदाताओं के पहचान पत्रों पर समान एपिक नंबर मुद्रित हैं, जिसने मतदाता की विशिष्ट पहचान पर सवाल खड़े कर दिए।
इस संबंध में, निर्वाचन आयोग ने साफ किया है कि एक ही नंबर के दो वोटर आईडी हो सकते हैं, यानी एक एपिक नंबर दो वोटरों को आवंटित किया गया हो सकता है। आयोग ने जोर देकर कहा है कि इस प्रकार की स्थिति में वोटर आईडी कार्ड फर्जी या मतदाता बोगस साबित नहीं होता है।
UP आयोग ने स्पष्ट किया कि:
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कुछ मतदाताओं के ईपिक नंबर एक हो सकते हैं, लेकिन उनकी जनसांख्यिकी (जैसे नाम, पिता का नाम, लिंग), विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र और मतदान केंद्र जैसे अन्य ब्यौरे पूरी तरह से अलग होते हैं।
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यह सुनिश्चित किया जाता है कि वोटर जिस राज्य या केंद्रशासित प्रदेश की मतदाता सूची में नामांकित है, उसी प्रदेश में स्थित एक मतदान केंद्र पर ही वोट डाल सकता है और कहीं और नहीं।
आयोग का यह बयान यह सुनिश्चित करता है कि EPIC नंबर की पुनरावृत्ति होने पर भी, मतदाता सत्यापन की सटीकता और फर्जी मतदान पर रोक बरकरार रहती है, क्योंकि अंतिम पहचान विधानसभा क्षेत्र और मतदान केंद्र जैसे अन्य विशिष्ट विवरणों पर आधारित होती है। ****
डिजिटल संस्करण और खोज के तरीके
UP निर्वाचन आयोग अब वोटर आईडी का डिजिटल संस्करण e-EPIC भी उपलब्ध कराता है, जिसे मतदाता अपने मोबाइल फोन में पीडीएफ के रूप में डाउनलोड कर सकते हैं। यह एक पोर्टेबल और सुरक्षित डिजिटल पहचान विकल्प है।
आप अपना एपिक नंबर इन तरीकों से खोज सकते हैं:
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वोटर आईडी कार्ड पर: आपके कार्ड के सामने की तरफ लिखा अल्फान्यूमेरिक कोड ही EPIC नंबर होता है।
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ऑनलाइन खोज: राष्ट्रीय मतदाता सेवा पोर्टल (NVSP) या भारत निर्वाचन आयोग की मतदाता खोज सेवा पर अपना नाम, पता, जन्मतिथि आदि विवरण डालकर खोजा जा सकता है।
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वोटर हेल्पलाइन ऐप: ऐप डाउनलोड करके ‘Search Your Name in Electoral Roll’ सेक्शन में जाकर भी EPIC नंबर खोजा जा सकता है।
