उत्तर प्रदेश में सत्तारूढ़ योगी आदित्यनाथ की अगुवाई में बीजेपी सरकार राज्य में गैर-मान्यता प्राप्त मदरसों के सर्वे के बाद अब वक्फ के तौर पर दर्ज की गई सार्वजनिक सपंत्तियों का रिव्यू कराएगी। साल 1989 में जारी किए गए एक गलत आदेश के आधार पर बंजर, ऊसर आदि सार्वजनिक संपत्तियां वक्फ संपत्ति के तौर पर दर्ज की गई थी। यह आदेश राजस्व कानूनों और वक्फ अधिनियम दोनों के खिलाफ था। अब 33 साल पुराने इस शासनादेश को रद्द कर दिया गया है।
अल्पसंख्यक विभाग ने सभी जिलों के कमिश्नर और डीएम को निर्देश जारी किए हैं। उनसे कहा गया है कि इन संपत्तियों का रिव्यू कर जो भी नियम के खिलाफ वक्फ में दर्ज हुई हैं, उन्हें रद्द कर राजस्व अभिलेखों को दुरुस्त किया जाए। इस पूरी प्रक्रिया को 8 अक्टूबर तक पूरा करने के लिए कहा गया है।
मालूम हो कि 07 अप्रैल, 1989 को तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने एक आदेश जारी किया था। इसमें कहा गया था कि यदि सामान्य संपत्ति बंजर, भीटा, ऊसर आदि भूमि का इस्तेमाल वक्फ (मसलन कब्रिस्तान, मस्जिद, ईदगाह) के रूप में किया जा रहा हो तो उसे वक्फ संपत्ति के रूप में ही दर्ज कर दिया जाए। इसके बाद उसका सीमांकन किया जाए।
इस आदेश के तहत प्रदेश में लाखों हेक्टेयर बंजर, भीटा, ऊसर भूमि वक्फ संपत्ति के रूप में दर्ज कर ली गईं। अब प्रदेश सरकार का कहना है कि इन संपत्तियों के स्वरूप अथवा प्रबंधन में किया गया परिवर्तन राजस्व कानूनों के विपरीत है। बीते माह राजस्व परिषद के प्रमुख सचिव सुधीर गर्ग ने शासनादेश जारी कर कांग्रेस शासनकाल में जारी आदेश को समाप्त कर दस्तावेजों को दुरुस्त करने के निर्देश दिए थे।