Mathura Home Guard: मथुरा के गोवर्धन में ड्यूटी के प्रति निष्ठा और अनुशासन का ऐसा उदाहरण सामने आया है, जिसने पूरे प्रशासनिक तंत्र को प्रेरणा दे दी है। भीषण गर्मी में परिक्रमा मार्ग की सुरक्षा में तैनात एक साधारण होमगार्ड महेन्द्र सिंह परिहार ने अपने कर्तव्य को सर्वोपरि रखते हुए जिले के सबसे बड़े अफसर डीएम-एसएसपी के ई-रिक्शा को प्रवेश से रोक दिया। अफसरों के दबाव में झुकने के बजाय उसने नियमों का पालन कर प्रशासन को भी झुका दिया। उसकी ईमानदारी और साहस को देखकर खुद Mathura एसएसपी श्लोक कुमार ने उसे सम्मानित करने का ऐलान कर दिया। महेन्द्र सिंह का यह छोटा-सा कदम पूरे सिस्टम को यह संदेश दे गया कि अनुशासन ही असली पहचान है।
ड्यूटी पर अडिग होमगार्ड की कहानी बनी प्रेरणा
Mathura के गोवर्धन में आयोजित मुड़िया पूर्णिमा मेले के दौरान सभी सुरक्षा कर्मचारियों को सख्त आदेश दिए गए थे कि गिरिराज महाराज की सप्तकोसी परिक्रमा मार्ग में किसी भी तिपहिया और चौपहिया वाहन को प्रवेश न करने दिया जाए। शनिवार को डीएम चन्द्र प्रकाश सिंह और एसएसपी श्लोक कुमार स्वयं ई-रिक्शा से निरीक्षण कर रहे थे। जब उनका काफिला बागड़ी प्याऊ के तिराहे पर पहुंचा तो वहां तैनात होमगार्ड महेन्द्र सिंह परिहार ने बिना झिझक काफिले को रोक दिया।
जब Mathura होमगार्ड को बताया गया कि ई-रिक्शा में डीएम-एसएसपी सवार हैं, तो भी उसने नियमों का हवाला देते हुए कहा- “मेरे डीएम साहब का आदेश है, पहले उनसे कहलवाइए, तब वाहन भीतर ले जा सकते हैं।” यह सुनकर अफसर भी मुस्कुरा दिए और होमगार्ड की निष्ठा को सलाम करते हुए काफिले का रास्ता बदल लिया।
साहस से मिला सम्मान, अनुशासन से मिली पहचान
पूरा दिन महेन्द्र सिंह कार्रवाई के डर से सहमा रहा, लेकिन जब उसे पता चला कि पुलिस कप्तान एसएसपी श्लोक कुमार ने मीडिया के सामने उसकी तारीफ करते हुए उसे पुरस्कृत करने का ऐलान कर दिया है, तो वह खुशी से फूला नहीं समाया। अनुशासन, ईमानदारी और कर्तव्य पर डटे रहने का यह उदाहरण पुलिस विभाग और समाज के हर व्यक्ति के लिए प्रेरणा बन गया है।
महेन्द्र सिंह ने साबित कर दिया कि अफसर चाहे जितने बड़े हों, ड्यूटी और नियम सबसे बड़े होते हैं। उनके इस साहसी कदम ने यह दिखा दिया कि सच्ची जिम्मेदारी वही है, जिसमें व्यक्ति अपने कर्तव्य से समझौता न करे।