Yogi Govt: सरकार ने 150 कर्मचारियों के प्रमोशन किए रद्द, भ्रष्टाचार और पक्षपात के आरोप

योगी सरकार ने 150 कर्मचारियों के प्रमोशन रद्द किए, भ्रष्टाचार और पक्षपात के आरोपों के चलते जांच के आदेश दिए। वित्त विभाग के वरिष्ठ लेखा परीक्षकों को सहायक लेखा अधिकारी बनाए जाने का आदेश 16 जनवरी को प्रभावी हुआ था।

Yogi Govt: उत्तर प्रदेश सरकार ने वित्त विभाग में वरिष्ठ लेखा परीक्षकों (सीनियर ऑडिटर) के 150 कर्मचारियों को सहायक लेखा परीक्षा अधिकारी (एएओ) पद पर दिए गए प्रमोशन को रद्द कर दिया है। 31 दिसंबर 2024 को जारी यह प्रमोशन आदेश 16 जनवरी 2025 से लागू हुआ था, लेकिन चार दिन बाद 20 जनवरी को इसे निरस्त कर दिया गया। सरकार ने इन प्रमोशनों पर भ्रष्टाचार और पक्षपात के गंभीर आरोपों के चलते यह कदम उठाया। मामले में विशेष सचिव ने आदेश जारी कर जांच के निर्देश दिए हैं। यह फैसला कर्मचारियों में नाराजगी का कारण बन गया है, जबकि सरकार का कहना है कि वह पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है।

कैसे हुआ था प्रमोशन का आदेश जारी

31 दिसंबर 2024 को वित्त विभाग ने 150 सीनियर ऑडिटर्स को सहायक लेखा परीक्षा अधिकारी के पद पर प्रमोट करने का आदेश जारी किया था। इस प्रमोशन से कर्मचारियों को न केवल पदोन्नति का लाभ मिला बल्कि वेतन वृद्धि का भी फायदा हुआ। आदेश के अनुसार, यह प्रमोशन 16 जनवरी 2025 से प्रभावी हुआ।
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रद्द करने के पीछे क्या थी वजह

प्रमोशन आदेश जारी होने के बाद कर्मचारियों और अधिकारियों के एक वर्ग ने इसमें भ्रष्टाचार और पक्षपात का आरोप लगाया। शिकायतकर्ताओं ने दावा किया कि प्रमोशन में योग्यता और वरिष्ठता की अनदेखी की गई है। आरोप था कि इस प्रक्रिया में नियमों का पालन नहीं किया गया और कई योग्य उम्मीदवारों को दरकिनार कर दिया गया। शिकायतें योगी सरकार तक पहुंचीं, जिसके बाद मामले की गहनता से जांच कराने और आदेश को रद्द करने का फैसला लिया गया।

20 जनवरी को विशेष सचिव समीर द्वारा जारी आदेश में इन प्रमोशनों को शून्य करने की जानकारी दी गई। आदेश में कहा गया कि यह कदम सेवा नियमावली में संशोधन और गड़बड़ियों की जांच के बाद ही उठाया गया है। माना जा रहा है कि बड़े स्तर पर गड़बड़ी के चलते यह फैसला लिया गया।

कर्मचारियों में नाराजगी

प्रमोशन रद्द होने से प्रभावित कर्मचारी निराश हैं। उनका कहना है कि Yogi Govt को गड़बड़ी करने वालों पर कार्रवाई करनी चाहिए, न कि पूरी प्रक्रिया को रद्द करना चाहिए था। वहीं, सरकार ने यह साफ कर दिया है कि वह किसी भी स्तर पर भ्रष्टाचार और पक्षपात को बर्दाश्त नहीं करेगी।

Yogi Govt की जांच रिपोर्ट आने तक यह मामला चर्चा में रहेगा और फैसले की पारदर्शिता पर सवाल उठाए जा सकते हैं।

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