देहरादून ऑनलाइन डेस्क। विधानसभा चुनाव के वक्त बीजेपी ने उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता (UCC) लागू किएए जाने का वादा था, जो सोमवार यानि 27 जनवरी 2025 को पूरा होने जा रहा है। आज दोपहर 12 बजकर 30 मिनट के बाद यूसीसी कानून प्रदेश में लागू हो जाएगा। यूसीसी को लेकर सूबे के सीएम पुष्कर सिंह धामी का बड़ा बयान सामने आया है। उन्होंने कहा है कि इस कानून को लेकर सारी तैयारियां पूरी हो चुकी हैं। अब प्रदेश में लिंग, जाति या धर्म के आधार पर कोई भेदभाव नहीं होगा। इसके साथ ही आज से प्रदेश में हलाला से लेकर बहुविवाह तक सब खत्म हो जाएगा।
हलाला जैसी प्रथा बंद
उत्तराखंड में सोमवार से समान नागरिक संहिता (यूसीसी) लागू हो जाएगी। इसी के साथ राज्य में बहुत कुछ बदल जाएगा। शादी का अनिवार्य रूप से रजिस्ट्रेशन कराना होगा। किसी जाति, धर्म या संप्रदाय का व्यक्ति हो, उसके लिए तलाक का एक समान कानून होगा। लड़कियों की शादी की उम्र चाहे वह किसी भी जाति-धर्म की हो, एक समान होगी। सभी धर्मों में बच्चों को गोद लेने का अधिकार मिलेगा। यूसीसी लागू होने के बाद राज्य में हलाला जैसी प्रथा बंद हो जाएगी। बहुविवाह पर रोक होगी। उत्तराधिकार में लड़कियों को लड़कों के बराबर की हिस्सेदारी होगी। लिव-इन रिलेशनशिप का रजिस्ट्रेशन कराना भी जोड़ों के लिए अनिवार्य होगा। इस दौरान पैदा होने वाले बच्चे को भी शादीशुदा जोड़े के बच्चे की तरह अधिकार मिलेगा।
विवाह का पंजीकरण अनिवार्य
यूसीसी में विवाह का पंजीकरण अनिवार्य किया गया है। इसके लिए कट ऑफ डेट 27 मार्च 2010 रखी गई है। यानी इस दिन से हुए सभी विवाह पंजीकृत कराने होंगे। विवाह का पंजीकरण करने के लिए किए गए आवेदन पर कानूनी स्वीकृति न मिलने पर विवाह का आवेदन स्वीकृत माना जाएगा। यूसीसी में सशस्त्र बलों के लिए विशेष व्यवस्था की गई है। इसके अंतर्गत यदि कोई सैनिक, वायुसैनिक या नौसैनिक विशेष अभियान में है, तो वह विशेषाधिकार वाली वसीयत कर सकता है। वह अपने हाथ से कोई वसीयत लिखता है और उसमें उसके हस्ताक्षर या फिर साक्ष्य (अटेस्टेड) नहीं है, तो भी वह मान्य होगी। शर्त यह रहेगी कि इसकी पुष्टि होनी जरूरी है कि वह हस्तलेख सैनिक का ही है।
इन्हें यूसीसी से रखा गया बाहर
बता दें, यूसीसी के नियम-कानून से अनुसूचित जनजाति को बाहर रखा गया है। ट्रांसजेंडर, पूजा-पद्धति व परंपराओं में भी कोई बदलाव नहीं किया गया है। वहीं समान नागरिक संहिता लागू होने से पहले सीएम ने कहा कि हमने पीएम मोदी के नेतृत्व में जो 2022 का विधानसभा चुनाव लड़ा था. उसमें हमने प्रदेश वासियों से वादा किया था, कि सरकार बनने के बाद हम यूसीसी लागू करने का काम करेंगे। हमने पूरी औपचारिकताएं पूरी कर ली हैं। जिसके बाद अधिनियम लागू होने के लिए तैयार है। सीएम ने कहा कि पीएम नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री के मार्गदर्शन में हमें यूसीसी कानून बनाने का मौका मिला, जिसे सरकार बनने के बाद अमलीजामा पहनाए जाने पर काम शुरू कर दिया गया था।
क्या है यूसीसी, जो उत्तराखंड में लागू
यूनिफॉर्म सिविल कोड (यूसीसी) का मतलब ये है कि देश में जो भी नागरिक रह रहे हैं, फिर चाहें वो किसी भी धर्म, जाति या लिंग के हों, उनके लिए एक ही कानून होगा। इसके लागू होते ही शादी, तलाक, लिव इन रिलेशनशिप, बच्चा गोद लेने का अधिकार समेत तमाम अधिकारों में एकरूपता नजर आती है। फिर धर्म के आधार पर नियम अलग नहीं हो सकते। साल 2022 में उत्तराखंड के विधानसभा चुनावों में बीजेपी ने ये वादा किया था कि राज्य में यूसीसी को लागू करेंगे। इसके बाद जब सीएम पुष्कर सिंह धामी ने सत्ता की बागडोर संभाली तो मंत्रिमंडल की पहली ही बैठक में यूसीसी प्रस्ताव को मंजूरी दे दी और उसका मसौदा तैयार करने के लिए विशेषज्ञ समिति के गठन की अनुमति दी थी।
देश का पहला राज्य बना उत्तराखंड
उत्तराखंड, आज यूसीसी लागू करने वाला पहला राज्य बन जाएगा। इससे पहले असम समेत कई राज्यों ने भी यूसीसी अधिनियम को एक मॉडल के रूप में अपनाने की इच्छा जताई है। उत्तराखंड सरकार का ये कदम ऐतिहासिक है क्योंकि इससे राज्य के सभी लोगों के लिए एक कानून होगा, जिससे उन्हें समानता का एहसास होगा। इस कानून से राज्य को देश में एक नई पहचान मिलेगी और वह सामाजिक और कानूनी न्याय के सुधार की दिशा में आगे बढ़ेगा। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी आज यानी कि 27 जनवरी को यूसीसी पोर्टल का शुभारंभ करेंगे। दोपहर 12.30 बजे सचिवालय में यूसीसी पोर्टल का शुभारंभ किया जाएगा।
रजिस्ट्रेशन की थ्री लेयर की व्यवस्था
यूसीसी पोर्टल के माध्यम से रजिस्ट्रेशन की थ्री लेयर की व्यवस्था होगी। इसके अलावा इंटरनेट की सुविधा ना होने या पोर्टल काम नहीं करने पर वहां सीएससी के माध्यम से पंजीकरण होगा। इसके लिए आधार कार्ड से रजिस्ट्रेशन कराया जाएगा। कोई भी शिकायत होने पर आप पोर्टल पर ही दर्ज करा सकते हैं। इस कानून के बाद उत्तराधिकारी होने के लिए गवाह की जरुरत होगी। तलाक लेने के लिए कोर्ट की मंजूरी जरुरी होगी। वैवाहिक संबंध तोड़ने पर 60 दिन के भीतर देना होगा पोर्टल पर सूचना देनी होगी। इसके अलावा लिव इन में रहने वालो को एक माह के भीतर पंजीकरण करवाना होगा। पंचायत पालिका निगम स्तर पर उप रजिस्ट्रार व रजिस्ट्रार तैनात किए जाएंगे।
मुसलमानों पर क्या होगा असर
मुस्लिम पर्सनल (शरिया) एप्लीकेशन एक्ट, 1937 में कहा गया है कि विवाह, तलाक और भरण-पोषण शरिया या इस्लामी कानून के तहत शासित होंगे। लेकिन अगर यूसीसी म लागू होने के बाद शरिया कानून के तहत निर्धारित विवाह की न्यूनतम आयु बदल जाएगी और बहुविवाह जैसी प्रथाएं खत्म हो जाएंगी। समान नागरिक संहिता लागू होने के बाद विवाह का रजिस्ट्रेशन अनिवार्य हो जाएगा। अभी देश में हर धर्म के लोग अपने पर्सनल लॉ के जरिए इन मामलों को सुलझाते हैं। यूसीसी के लागू होने के बाद उत्तराखंड में हलाला जैसी प्रथा भी बंद हो जाएगी। वहीं उत्तराधिकार में लड़कियों को लड़कों के बराबर की हिस्सेदारी होगी।