Waqf Board : वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024 की चर्चा के लिए संसद की संयुक्त समिति (JPC) की बैठक में विभिन्न राज्य वक्फ बोर्डों ने अपने सुझाव दिए। सोमवार को आयोजित इस बैठक में उत्तराखंड वक्फ बोर्ड ने एक महत्वपूर्ण प्रस्ताव रखा। उन्होंने सैनिकों और उनके परिवारों के लिए वक्फ संपत्तियों के आवंटन की मांग की।
सैनिकों के प्रति सम्मान
उत्तराखंड वक्फ बोर्ड के प्रतिनिधियों ने अपने विचार रखते हुए कहा कि जब सैनिक देश के लिए लड़ते हैं, तो वे किसी विशेष धर्म के नाते नहीं, बल्कि एक देशभक्त के रूप में लड़ते हैं। इसी भावना को ध्यान में रखते हुए, उन्होंने सुझाव दिया कि वक्फ संपत्तियों से कुछ लाभ सैनिकों या उनके परिवारों को देने के लिए एक कानूनी प्रावधान किया जाना चाहिए। उनका प्रस्ताव था कि दरगाह, मस्जिद और कब्रिस्तान को छोड़कर अन्य वक्फ संपत्तियों की लीज सैनिकों के परिवारों को दी जाए।
विपक्ष का विरोध और नए मानक की आवश्यकता
हालांकि, उत्तराखंड वक्फ बोर्ड के इस प्रस्ताव का कुछ विपक्षी सांसदों ने विरोध किया। उनका कहना था कि हिंदू या अन्य धार्मिक संदर्भ में ऐसा कोई तुलनात्मक प्रावधान नहीं है। बावजूद इसके, उत्तराखंड वक्फ बोर्ड ने यह स्पष्ट किया कि वे अन्य धर्मों के साथ समानता बनाने की बजाय एक नए मानक की शुरुआत कर सकते हैं। उन्होंने विधेयक में पारदर्शिता और महिलाओं की भागीदारी को सराहा।
सीबीआई जांच की मांग
बोर्ड ने विवादित संपत्तियों के मामलों में गहन जांच की मांग की और जरूरत पड़ने पर सीबीआई जांच के प्रावधानों को शामिल करने का सुझाव दिया। इस पर कुछ विपक्षी सांसदों ने तीखी प्रतिक्रियाएं दीं। बैठक में दिल्ली वक्फ बोर्ड को बुलाने को लेकर भाजपा और विपक्षी सांसदों के बीच बहस भी हुई।
दिल्ली वक्फ बोर्ड की स्थिति
विपक्षी सांसदों ने आरोप लगाया कि एमसीडी आयुक्त और दिल्ली वक्फ बोर्ड के प्रशासक, अश्विनी कुमार ने मुख्यमंत्री की मंजूरी के बिना वक्फ बोर्ड की मूल रिपोर्ट में काफी बदलाव किए हैं, जिससे वैधता पर सवाल उठ रहे हैं। हालांकि, दिल्ली वक्फ परिषद के प्रतिनिधियों ने अपनी स्वायत्तता का दावा करते हुए कहा कि उन्हें राज्य सरकार से मंजूरी लेने की आवश्यकता नहीं है।
इस बैठक में उत्तराखंड वक्फ बोर्ड द्वारा प्रस्तुत प्रस्ताव न केवल सैनिकों के प्रति सम्मान का प्रतीक है, बल्कि यह वक्फ संपत्तियों के उपयोग के संबंध में एक नई दिशा भी दिखाता है। सैनिकों और उनके परिवारों के लिए विशेष प्रावधान बनाना एक महत्वपूर्ण कदम हो सकता है, जो उन्हें सही तरीके से मान्यता और सहायता प्रदान करेगा।