Uttarkashi Avalanche: चंद सेकंड में सबकुछ बर्फ से ढक गया, बुझ गए कई घरों के चिराग, फूट-फूट कर रोये परिजन

उत्तरकाशी। जिले के द्रौपदी का डांडा-2 में हुए हिमस्खलन हादसा हमेशा उत्तराखंड के जेहन में ताजा रहेगी। एक सप्ताह पूर्व मंगलवार यानी 4 अक्टूबर को जब डोकरानी बामक ग्लेशियर क्षेत्र में हिमस्खलन हादसे की खबर मिली तो किसी ने सोचा नहीं था कि इतनी जिंदगी जाएंगी। अभी तक 27 पर्वतारोहियो के शव मिल चुके हैं और दो लापता हैं। इसके अलावा 16 लोगों को सकुशल बचाया गया है।ये एक ऐसी त्रासदी है, जिसने न सिर्फ उत्तराखंड बल्कि देश के विभिन्न हिस्सों के कई घरों के चिराग हमेशा के लिए बुझा दिए। उत्तरकाशी में हुई इस घटना ने एक झटके में पूरे देश को हिला कर रख दिया है। पर्वतारोहण के क्षेत्र में इसे हमेशा काले अध्याय के रूप में याद किया जाएगा।


उत्तरकाशी हिमस्खलन की इस घटना में न सिर्फ पर्वतारोहियों की जानें गईं बल्कि उन सपनों की भी मौत हुई है, जो साहस और रोमांच की दुनिया में कदम रखने को उत्साहित थे। घटना के बाद हर किसी परिजन को आस थी कि शायद उनका कोई अपना जरूर मौत से दो-दो हाथ करके इस दुर्भाग्य को बताने के लिए जिंदा रह सकेगा, लेकिन नियति ने उन्हें ऐसा नसीब नहीं होने दिया। जब परिजनों के अपनों की लाशें सामने थीं तो उनकी आंखों में आंसुओं का सैलाब उमड़ रहा था। सोमवार को जब सभी बरामद शव मातली हेलीपैड लाए गए तो परिजनों की आंखों में इस मंजर को साफ देखा जा सकता था।जब अपनों की मौत की खबर सुनी तो परिजन मातली हेलीपैड पर डीएम अभिषेक रुहेला के गले लगकर फूट फूटकर रोते हुए देखे गए। जिलाधिकारी ने परिजनों को धैर्य और साहस रखने का ढांढस बंधाया। उन्होंने कहा कि इस प्रकार की घटना से हम सबको सबक लेने की आवश्यकता है। परिजनों ने अपने युवा बच्चों को खोया है। ये बहुत ही दुखद घड़ी है।


गौरतलब हो कि बीती 4 अक्टूबर को उत्तरकाशी जिले के द्रौपदी का डांडा 2 के डोकरानी बामक ग्लेशियर क्षेत्र में हिमस्खलन की घटना हुई थी, जिसकी चपेट में एडवांस कोर्स प्रशिक्षण के लिए गए नेहरू पर्वतारोहण संस्थान के प्रशिक्षु पर्वतारोही और प्रशिक्षक आ गए थे। इनमें उत्तरकाशी की लौंथरू गांव की माउंट एवरेस्ट विजेता सविता कंसवाल भुक्की गांव की पर्वतारोही नौमी रावत अल्मोड़ा के पर्वतारोही अजय बिष्ट समेत 27 पर्वतारोहियों की जान चली गई है जबकि 16 लोग सकुशल बचाए गए हैं।जबकि मौसम खराब होने की वजह से एक शव एडवांस बेस कैंप (डोकरानी बामक ग्लेशियर क्षेत्र) में ही है। 2 पर्वतारोही अभी भी लापता हैं। बर्फबारी और खराब मौसम की वजह से रेस्क्यू ऑपरेशन रोक दिया गया है।हिमस्खलन हादसे ने कई परिवारों के चिराग छीन लिए। हिमाचल प्रदेश के नारकंडा गांव का कैंथला परिवार भी इनमें से एक है। हादसे में गांव के एक बेटे की चिता की आग अभी ठंडी भी नहीं हुई थी कि अगले दिन गांव के एक और बेटे का शव पहुंच गया। शव गांव पहुंचते ही परिवार में मातम छा गया।

Exit mobile version