UP News : उत्तर प्रदेश के चित्रकूट जिले के एक जूनियर हाईस्कूल में पिछले दो वर्षों से एक भी शिक्षक तैनात नहीं है, जिससे बच्चों की पढ़ाई पूरी तरह से प्रभावित हो रही है। इस गंभीर मामले को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट में जनहित याचिका दाखिल की गई थी। याचिका पर सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायमूर्ति अरुण भंसाली और न्यायमूर्ति क्षितिज शैलेन्द्र की खंडपीठ ने राज्य सरकार से 27 अक्टूबर 2025 तक विस्तृत जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है।
शिक्षा के अधिकार का उल्लंघन
कोर्ट ने सुनवाई के दौरान नाराजगी जताते हुए कहा कि शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 के तहत 6 से 14 वर्ष के बच्चों को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा उपलब्ध कराना सरकार की जिम्मेदारी है। इसके बावजूद रैपुरा गांव के सरदार वल्लभभाई पटेल जूनियर हाईस्कूल में पिछले दो साल से एक भी अध्यापक नहीं है, जो कि बच्चों के मौलिक अधिकारों का स्पष्ट उल्लंघन है।
याचिका में क्या कहा गया?
इस मामले में रैपुरा गांव निवासी राहुल सिंह पटेल ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दाखिल की थी। याचिका में बताया गया कि यह विद्यालय राज्य सरकार से मान्यता प्राप्त एडेड स्कूल है, जहां 9 शिक्षकों के पद स्वीकृत हैं। बावजूद इसके, बीते दो सालों से सभी पद खाली पड़े हैं।
वर्तमान शैक्षणिक सत्र 2025-26 में इस स्कूल में:
- कक्षा 6 में 35 छात्र,
- कक्षा 7 में 46 छात्र,
- कक्षा 8 में 65 छात्र
यानी कुल 141 छात्र नामांकित हैं।
चपरासी के भरोसे चल रहा स्कूल
स्कूल में तीन चपरासियों के पद हैं, जिनमें से दो रिक्त हैं। सिर्फ रामभवन नाम का एकमात्र चपरासी कार्यरत है, जो पूरे स्कूल का कामकाज देख रहा है। यानी स्कूल प्रशासनिक और शैक्षणिक रूप से पूरी तरह चरमराया हुआ है।
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कोई कार्रवाई नहीं हुई
याचिकाकर्ता की ओर से बताया गया कि 11 अगस्त 2025 को जिला प्रशासन और बेसिक शिक्षा अधिकारी, चित्रकूट को इस संबंध में ज्ञापन सौंपा गया था। इसके अलावा IGRS (इंटीग्रेटेड ग्रिवांस रिड्रेसल सिस्टम) पर भी शिकायत दर्ज कराई गई, लेकिन कहीं से भी कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई। आखिरकार अधिवक्ता जगदीश सिंह बुंदेला के माध्यम से हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की गई। कोर्ट ने राज्य सरकार से मामले की गंभीरता को समझते हुए 27 अक्टूबर 2025 तक स्थिति स्पष्ट करने और जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है। अब देखना होगा कि सरकार इस पर क्या रुख अपनाती है और बच्चों की शिक्षा बहाल करने के लिए क्या कदम उठाए जाते हैं।