250 मीटर की दूरी, 30 मिनट की देरी: BHU के ‘नो-टच’ नियम ने ले ली 17 साल की प्राची की जान

BHU में 'पुरुष हाथ नहीं लगाएगा' नियम के कारण 17 वर्षीय छात्रा प्राची की जान चली गई। हार्ट अटैक के बाद, महज 250 मीटर दूर अस्पताल तक पहुंचाने में देरी हुई क्योंकि महिला सुरक्षाकर्मी को तलाशा जा रहा था। इस त्रासदी ने कैंपस के नियमों और आपातकालीन प्रोटोकॉल पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं।

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BHU News: नियमों को जीवन की रक्षा और गरिमा को बनाए रखने के लिए बनाया जाता है, उन्हें जीवन से ऊपर नहीं रखा जा सकता। लेकिन गुरुवार को वाराणसी स्थित बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी (BHU) प्रशासन की एक कथित चूक ने इस साधारण से तथ्य को भुला दिया, जिसकी कीमत एक 17 वर्षीय होनहार छात्रा को अपनी जान देकर चुकानी पड़ी। BHU के महिला महाविद्यालय में प्राचीन इतिहास की बीए सेकंड ईयर की छात्रा प्राची की मौत हार्ट अटैक से हो गई।

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छात्रा की मौत के बाद साथी छात्राओं ने कॉलेज की प्रिंसिपल, अधिकारियों और प्रोफेसरों के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। छात्राओं का आरोप है कि कॉलेज प्रशासन के एक अमानवीय नियम ने प्राची की जान ले ली। यह हृदय विदारक घटना तब और भी ज्यादा दुखद हो जाती है जब पता चलता है कि जिस स्थान पर प्राची बेहोश हुई, वहां से सर सुंदरलाल अस्पताल की इमरजेंसी की दूरी महज 250 मीटर थी। छात्राओं का दावा है कि यदि समय पर प्राची को अस्पताल पहुंचा दिया जाता तो शायद उसकी जान बच सकती थी।

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प्राची, जो अकबरपुर (अंबेडकर नगर) की रहने वाली थीं, अपनी क्लास के लिए जा रही थीं जब उन्हें बॉटनी डिपार्टमेंट के पास चक्कर आया और वे बेहोश होकर गिर पड़ीं। साथी छात्राओं का आरोप है कि प्राची के बेहोश होने के बाद आधे घंटे तक एंबुलेंस नहीं आई। इस दौरान, प्राची वहीं कॉरिडोर में पड़ी रहीं, और एंबुलेंस बुलाने की बजाय महिला सुरक्षाकर्मी को खोजने पर जोर दिया गया।

छात्राओं ने बताया कि कॉलेज का एक नियम है जिसके तहत छात्राओं को कोई पुरुष सुरक्षाकर्मी हाथ नहीं लगाएगा। जीवन बचाने की तत्परता पर इस नियम का हावी होना एक बड़ी विडंबना बन गया। अंततः, साथी छात्राओं ने किसी तरह प्राची को उठाकर सुरक्षित जगह पहुंचाया।

जब एंबुलेंस आई, तब प्राची को सर सुंदरलाल अस्पताल की इमरजेंसी में भर्ती कराया गया, लेकिन डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। इस पूरे घटनाक्रम में, 250 मीटर की वह छोटी दूरी और ‘पुरुष के हाथ न लगाने’ का नियम, जीवन बचाने की राह में सबसे बड़ी बाधा बन गया।

घटना से उग्र छात्राओं ने इसके बाद विरोध प्रदर्शन किया और मेन गेट के बाहर जाम लगा दिया। उन्होंने अधिकारियों और ज़िम्मेदारों से तीखी बहस की। छात्राओं ने कैंपस में एंबुलेंस सुविधा, नर्स की नियुक्ति और 24 घंटे इमरजेंसी नंबर की मांग की, और अधिकारियों द्वारा उनकी मांगें माने जाने के बाद ही वे शांत हुईं। इस घटना ने एक बार फिर परिसर में सुरक्षा और आपातकालीन प्रोटोकॉल की समीक्षा की आवश्यकता पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं।

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