आपने तो ये कई बार सुना ही होगा कि देश का प्रधानमंत्री कैसा हो पीएम मोदी जैसा हो अब तो ऐसा कहते हुए एक शख्स का वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है। दरअसल, पाकिस्तान के हालात लगातार बिगड़ते ही जा रहे है। ऐसे में पाकिस्तान इस वक्त महंगाई कि मार से जूझ रहा है, इतना ही नहीं खाने के लाले पड़ गए है। वहीं इस बीच यूट्यूबर सना अमजद द्वारा पोस्ट किया गया एक वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है। जिसमें यूट्यूबर से बात करते हुए एक नागरिक कह रहा है कि देश को ठीक करने के लिए अल्लाह हमें मोदी दे दो।
वहीं देश में लगातार बढ़ती महंगाई से वो शख्स काफी परेशान है और वो कह रहा है कि अगर नरेंद्र मोदी का शासन होता तो उसे इतनी महंगाई नहीं झेलनी पड़ती। वीडियो में सुना जा सकता है कि वो शख्स कह रहा है कि 1947 में हमारा मुल्क इंडिया से अलग नहीं ही हुआ होता तो बेहतर था। पूरा देश एक होता तब आज आपको टमाटर 20 रुपये किलो मिल रहे होते, चिकन 150 रुपये किलो मिलते। अब यह हमारी बदकिस्मीती नहीं है कि यहां हमारे पास कुछ भी नहीं है। इससे अच्छा तो मोदी मिल जाए। हमें ना ही नवाज शरीफ चाहिए, ना बेनजीर भुट्टो चाहिए, ना इमरान खान चाहिए। हमें मोदी मिल जाए जो इस देश के गलत चीजों को सीधा करे।
इंडिया दुनिया के पांचवे नंबर पर आ गया है। उन्होंने कहा कि हम अच्छी जिंदगी जीने के लिए मोदी के शासन को भी स्वीकार करने के लिए तैयार हैं। मोदी कोई बुरा इंसान नहीं है। इंडिया के जो मुसलमान हैं वो 150 रुपये ली। पेट्रोल खरीद रहे हैं ना? जब रात में आप अपने बच्चों के लिए भोजन की व्यवस्था नहीं कर पाएंगे तो आप भी जरूर यही कहेंगे कि आपने किस देश में जन्म ले लिया है। गौरतलब है कि यूट्यूबर सना अमजद ने पहले पाकिस्तान की कई मीडिया हाउस के साथ काम किया है। वहीं वायरल हो रहे वीडियो में, उस शख्स से जब पूछा गया कि सड़कों पर पाकिस्तान से जिंदा भागो चाहे इंडिया चले जाओं का नारा क्यों लगाया जा रहा है?
वहीं बताते चलें कि हाल ही में पाकिस्तान में बिगड़े आर्थिक हालात के बीच वहां के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने एक बड़ा बयान दिया था। आसिफ ने कहा था कि उनका देश दिवालिया हो चुका है। उनका यह बयान उस समय आया है जब पाकिस्तान को IMF से मिलने वाले $ 7 बिलियन के राहत पैकेज की उम्मीद अब ना के बराबर है। आसिफ ने सियालकोट में एक रैली के दौरान कहा था कि पाकिस्तान पहले ही डिफॉल्ट हो चुका है। अब इस आर्थिक संकट के लिए राजनेताओं और नौकरशाही को जिम्मेदार ठहराया जा रहा है।