World Population Day : क्यों मनाया जाता है? बढ़ती आबादी घटते रिसोर्सेज,भारत बना सबसे ज्यादा आबादी वाला देश

विश्व जनसंख्या दिवस 11 जुलाई को मनाया जाता है। 2025 में दुनिया की आबादी 8.06 अरब हो गई है। बढ़ती जनसंख्या से कई समस्याएं सामने आ रही हैं।

World Population Day 2025 and India Population Growth

World Population Day2025: हर साल 11 जुलाई को पूरी दुनिया में विश्व जनसंख्या दिवस मनाया जाता है। इस दिन का मकसद लोगों का ध्यान दुनिया में बढ़ती या घटती आबादी से जुड़ी परेशानियों पर ले जाना है। संयुक्त राष्ट्र (UN) ने 1989 में इस दिन को मनाने की घोषणा की थी और पहली बार इसे 1990 में मनाया गया था। इस दिन को मनाने की सोच तब आई, जब 11 जुलाई 1987 को दुनिया की आबादी 5 अरब पार कर गई थी। डॉक्टर केसी जैक्रियाह ने इस दिन को मनाने का सुझाव दिया था।

विश्व जनसंख्या दिवस का इतिहास

विश्व जनसंख्या दिवस को मनाने की शुरुआत संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम की गवर्निंग काउंसिल ने की थी। इसका मकसद था लोगों को आबादी के बढ़ते आंकड़ों के बारे में जागरूक करना और इस पर विचार करना कि इतनी बड़ी आबादी के साथ दुनिया कैसे आगे बढ़ेगी।

इस साल की थीम क्या है?

विश्व जनसंख्या दिवस 2025 की थीम है। “युवाओं को एक न्यायपूर्ण और आशापूर्ण दुनिया में अपनी मनचाही परिवार बनाने के लिए सशक्त बनाना।” यानी इस साल फोकस है कि युवा अपने भविष्य के लिए खुद सही फैसले ले सकें और समाज में बराबरी का माहौल बने।

भारत की आबादी कितनी हो गई है?

2025 में भारत की आबादी 1.46 अरब (1463.9 मिलियन) के करीब पहुंच गई है। अब भारत दुनिया का सबसे ज्यादा आबादी वाला देश बन गया है। रिपोर्ट के मुताबिक आने वाले 40 सालों में भारत की जनसंख्या 1.7 अरब तक पहुंच सकती है, जो देश के लिए एक बड़ी चुनौती हो सकती है।

दुनिया के सबसे ज्यादा आबादी वाले देश कौन-कौन से हैं?

दुनिया की कुल आबादी अब लगभग 8.2 अरब हो चुकी है। इसमें टॉप 10 देशों में भारत सबसे ऊपर है। बाकी देश इस तरह हैं

भारत – 1.46 अरब

चीन – 1.42 अरब

अमेरिका – 347 मिलियन

इंडोनेशिया – 286 मिलियन

पाकिस्तान – 255 मिलियन

नाइजीरिया – 238 मिलियन

ब्राजील – 213 मिलियन

बांग्लादेश – 176 मिलियन

रूस – 144 मिलियन

इथियोपिया – 135 मिलियन

क्यों है जनसंख्या पर ध्यान देना जरूरी?

दुनिया में कहीं-कहीं आबादी बहुत तेजी से बढ़ रही है, तो कहीं कम हो रही है। कई देश घटती आबादी से परेशान हैं, तो कई देश बढ़ती जनसंख्या को संभालने के लिए परेशान हैं। ज्यादा आबादी का असर रोज़गार, शिक्षा, स्वास्थ्य और पर्यावरण पर पड़ता है। इसलिए लोगों को समझना होगा कि संतुलित जनसंख्या ही सुखी जीवन की कुंजी है।

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