राष्ट्रपति चुनाव में क्रॉस वोटिंग का मुद्दा आग पकड़ रहा है। ये आग यूपी में सपा पार्टी से लेकर झारखंड कांग्रेस तक फैल गई है। राष्ट्रपति चुनाव में कांग्रेस के करीब नौ विधायकों ने पार्टी लाइन को दरकिनार कर क्रॉस वोटिंग की थी।
कांग्रेस नेतृत्व समझ नहीं पा रहा है कि ऐसे विधायकों को कैसे चिन्हित किया जाये? कांग्रेस की आंतरिक स्थिति से वाकिफ लोग जानते हैं कि अगर इसे आधार बनाकर पार्टी ने अपने विधायकों पर कार्रवाई की तो पार्टी में टूटने का डर है।
ये हैं नाराज विधायक
इरफान अंसारी, दीपिका पांडेय सिंह, पूर्णिमा नीरज सिंह, उमाशंकर अकेला और मंत्री बन्ना गुप्ता तक कई बार अलग-अलग मुद्दों पर अपनी ही सरकार के स्टैंड पर नाराजगी जता चुके हैं।
इसी बीच अब पार्टी के कार्यक्रमों से कई विधायकों को दरकिनार करने पर कई तरह के कयास लगाए जा रहे है। राज्या की सरकार और इसमें शामिल अपनी पार्टी के मंत्रियों से कांग्रेस के कई विधायक नाराज है। ये नाराजगी मौके-बेमौके सामने आ रही है।
29 जुलाई से शुरू होगा विधानसभा का मॉनसून सत्र
इस खिचातानी के चलते अब सबकी निगाहें 29 जुलाई से शुरू होनेवाले झारखंड विधानसभा के मॉनसून सत्र में कांग्रेस विधायकों के स्टैंड और एक्टिविटीज पर रहेंगी।
वहीं पार्टी की राष्ट्रीय प्रमुख सोनिया गांधी की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही। सोनिया गांधी से ईडी की पूछताछ के विरोध में पार्टी की प्रदेश इकाई ने रांची में सत्याग्रह का आह्वान किया था।
हैरानी की बात तो ये है कि रांची के मोरहाबादी मैदान में गांधी प्रतिमा के समक्ष प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष राजेश ठाकुर की अगुवाई में हुए सत्याग्रह में पार्टी के 18 विधायकों में से 11 गैरमौजूद रहे।
बादल पत्रलेख और बन्ना गुप्ता, विक्सल कोनगाड़ी, उमा शंकर अकेला, राकेश कच्छप, ममता देवी और शिल्पी नेहा तिर्की भी सत्याग्रह में मौजूद रहे।
व्यस्तता का बना रहे बहाना
हालांकि प्रदेश कांग्रेस कहना है कि कुछ विधायकों ने क्षेत्र में अपने पूर्व निर्धारित कार्यक्रम और व्यस्तता की सूचना दी थी। लेकिन 11 विधायकों के ना आने पर पार्टी के अंदर-बाहर सवाल खड़े हो रहे हैं।
ये तय किया गया था कि कार्यक्रमों में ज्यादा ताकत दिखेगी, लेकिन ऐसा नहीं दिखा। इसके पहले राष्ट्रपति चुनाव के पूर्व विपक्ष के प्रत्याशी यशवंत सिन्हा जब रांची में कांग्रेस विधायकों-सांसदों के साथ बैठक करने पहुंचे थे तो उन्हें भी विधायकों की व्यस्तता का बहाना सुनाया गया।
वहीं कांग्रेस के कई विधायकों का कहना है कि हमारी सरकार में ही हमारी भरपूर अनदेखी हो रही है। पार्टी फोरम पर बातें रखने के बावजूद कोई हल नहीं निकल रहा। ऐसे में ज्यादातर विधायकों में मायूसी है।