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"तो, अगली बार जब आप 'द एशेज' शब्द सुनें, तो इसके पीछे की कहानी याद रखें। यह सिर्फ एक छोटे कलश का मुद्दा नहीं है, बल्कि इतिहास इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया के बीच साझी रोमांचक लड़ाई का है।"

“THE ASHES” का अनसुना इतिहास, एक ऐसी Love Story, जो राख पर बनी, England – Austraia के बीच क्यों इज्जत से बढ़कर है “दि ऐशेज़”?

“क्रिकेट, एक ऐसा खेल जिसे दुनिया भर में लाखों लोग पसंद करते हैं और इसी क्रिकेट में ऐशेज एक ऐसी चीज है जो कई लोंगों की जिंदगी है लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि क्रिकेट में ऐशेज का असल में मतलब क्या होता है? आज, हम क्रिकेट में एशेज के पीछे की बमफाड़ कहानी को आपको बताएंगे साथ ही ये बताएंगे कि आखिर क्रिकेट में ऐशेज इतना जरूरी क्यों है?

ज्यादातर लोग बस इतना ही जानते हैं कि इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया के बीच 5 मैचों की टेस्ट सीरीज को द ऐशेज कहते हैं लेकिन ऐसा नहीं है इसके नाम से लेकर इसकी ट्रॉफी तक हर एक चीज के पीछे शानदार और मजेदार इतिहास छिपा हुआ है और साथ ही एक दिल पिघला देने वाली लव स्टोरी भी छिपी हुई है, तो आज हम एशेज के इतिहास में गहराई से डूबने वाले हैं, तो आप बस आराम से बैठिए, और इस रिपोर्ट को अंत तक पढ़िए।

“एशेज की जन्म 1882 में हुआ था जब 29 अगस्त को ऑस्ट्रेलिया ने इतिहास में पहली बार इंग्लैंड को हराया था। यह हार अंग्रेजी क्रिकेट टीम और उनके समर्थकों के लिए एक बहुत बड़ा झटका थी, इंग्लैंड की उनके ओवल पर ही इस हार पर किसी को यकीन नहीं हो रहा था। ये हार इतनी ज्यादा बड़ी थी कि इसके 2 दिन बाद एक ब्रिटिश अखबार द स्पोर्टिंग टाइम्स में हार के बाद एक शोक संदेश टाइप, ट्रोलिंग अंदाज में एक आर्टिकल भी लिखा गया। इसमें लिखा था  “अंग्रेजी क्रिकेट जो 29 अगस्त को ओवल में मर गया, R.I.P. लाश के अंतिम संस्कार के बाद इसकी राख को ऑस्ट्रेलिया ले जाया जाएगा।” दोस्तों राख को ही इंग्लिश में ऐशेज कहते हैं, जो ट्रॉफी ऑस्ट्रेलिया ले गई उसे इंग्लिश क्रिकेट की मौत की राख मान लिया गया। कहा जाता है कि इसी लेख से “The Ashes” शब्दों को लेकर इस सीरीज का नाम ही “The Ashes” रख दिया गया।

इस हार की शर्म से शर्मिंदा इंग्लिश कप्तान ईवो ब्लिघ(Ivo Bligh) ने 1882-83 के ऑस्ट्रेलिया टूर से पहले ये वादा कर दिया कि वो इस हार का बदला लेंगे और ऐशेज को वापस इंग्लैंड लाएंगे। ओवल की हार के तीन हफ्ते बाद इंग्लैंड टीम ऑस्ट्रेलिया पहुंच गई, इस तीन मैचों की सीरीज में पहले मैच में ऑस्ट्रेलिया को जीत मिली वहीं दूसरे और तीसरे मैच को जीतकर इंग्लैंड ने सीरीज अपने नाम की। इस जीत के बाद इंग्लैंड ने उन ऐशेज को पा लिया था।

अब हम आपको ऐशेज के इतिहास से जुड़ी वो लव स्टोरी बताएंगे जिसपर आजकल के पल दो पल के आशिकों को शायद यकीन भी नहीं होगा। दरअसल 1882 की क्रिस्मस की शाम को रूपर्वुड ईस्टेट विक्टोरिया में इंग्लैंड के कप्तान ईवो ब्लिघ को मेलबर्न लेडीज के एक ग्रुप द्वारा एक मिट्टी का कलश गिफ्ट में दिया गया, कहा जाता है कि इस कलश में इंग्लैंड-ऑस्ट्रेलिया सीरीज के तीसरे मैच की बेल्स को जलाकर उसकी राख डाली गई थी।

इस ग्रुप की लीडर फ्लॉरेंस मोरफी(Florance morphy) नाम की एक महिला थी, बस यहीं से ब्लिघ और मोरफी की लव स्टोरी शुरू हो गई, अगले साल ब्लिघ ने ऑस्ट्रेलिया वापस आकर मोरफी को प्रपोज़ कर दिया, 1884 में दोनों ने शाकी की और मोरफी ब्लिघ के साथ इंग्लैंड शिफ्ट हो गईं।

इसके बाद अगले 43 सालों तक वो कलश ब्लिघ परिवार के पास ही रहा क्योंकि वो उनकी प्राइवेट प्रॉपर्टी थी लेकिन ब्लिघ की मौत के बाद उनकी पत्नी मोरफी ने उस कलश को लॉर्ड क्रिकेट स्टेडियम के मेरीलेबोन क्रिकेट क्लब को सौंप दिया। लोगों को ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड के बीच क्रिकेट झड़प में बहुत मजा आ रहा था और इसी को देखते हुए 1990 में इंग्लैंड क्रिकेट बोर्ड और क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया ने मिलकर ये फैसला लिया कि वे हर 2 साल के अंतराल पर एक टेस्ट सीरीज खेलेंगे। इन दोनों टीमों के बीच इसी टेस्ट सीरीज के “द ऐशेज”  कहा जाता है।

इसकी ट्रॉफी की इतनी ज्यादा चर्चा इसलिए होती है क्योंकि इसकी ट्रॉफी ईवो ब्लिघ को मिले उसी कलश का एक रेप्लिका यानी कॉपी है जिसे उन्हें मरफी मे गिफ्ट किया था। इस रेप्लिका को क्रिस्टल से बनवाकर तैयार करवाया गया। लेकिन ब्लिघ को मिला असली कलश आज भी लंदन के द लॉर्डस् क्रिकेट स्टेडियम के म्यूजियम में रखा हुआ है।

साल 1998-99 में पहली ऑफिशियल “द ऐशेज” सीरीज खेली जिसे ऑस्ट्रेलिया ने जीत लिया, जीत पर उन्हें वही क्रिस्टल ट्रॉफी दी गई। तब से लेकर अब तक जो भी टीम ‘”द ऐशेज” जीतती है उसे यह ट्रॉफी दी जाती है। हर दो साल में बारी बारी इसे दोनों देश होस्ट करते हैं। दोनों देशों के बीच ये सीरीज काफी भयंकर तो है लेकिन इससे परे , ‘द एशेज’ क्रिकेट की भावना, भाईचारा और खिलाड़ियों और फैंस के अटूट जुनून को भी बताती है। यह सिर्फ मैच जीतने के लिए नहीं है; यह विरासत, परंपराओं और परंपरा को बनाए रखने के लिए है।

2023 वाली “द ऐशेज” सारीज से पहले तक इसमें कुल 340 मैच खेले जा चुके हैं जिसमें से 108 मैच इंग्लैंड ने जीते हैं और 140 मैच ऑस्ट्रेलिया ने। इसके अलावा 92 मैच ड्रॉ भी हुए हैं। आंकड़ो से साफ पता चलता है कि ऑस्ट्रेलिया की ऐशेज पर अलग ही धाक है। “तो, अगली बार जब आप ‘द एशेज’ शब्द सुनें, तो इसके पीछे की कहानी याद रखें। यह सिर्फ एक छोटे कलश का मुद्दा नहीं है, बल्कि इतिहास इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया के बीच साझी रोमांचक लड़ाई का है।”

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