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Dollar Vs Rupee: डॉलर के मुकाबले घटते रुपए की कीमत को

Dollar Vs Rupee: डॉलर के मुकाबले घटते रुपए की कीमत को संभालने के लिए अब RBI उठाने जा रहा है ये बड़ा कदम

Dollar Vs Rupee: दुनिया भर में वित्तीय बाजारों को अत्यधिक जोखिम से बचने के लिए इंटेंस सेल्लिंग प्रेशर का सामना करना पड़ रहा है, क्योंकि FOMC (फ़ेडरल ओपन मर्केट कमिटी) गाइडेंस और दर बढ़ोतरी का प्रस्ताव इसकी गुणवत्ता कायम रखने की मुद्रा से मिला हुआ है. जिसमें यह एक महीने में $95 बिलियन (UST में $60 बिलियन + MBS में $35 बिलियन) को बाज़ार से खत्म कर देगा.

इसके साथ ही, ‘फ्लाइट टू सेफ्टी’ ने सभी एसेट क्लास के बैलेन्स में वृद्धि की है, जिसमें कई उभरती बाजार मुद्राएं नकारात्मक दबाव का अनुभव कर रही हैं. अमेरिकी डॉलर की लिक्विडिटी में बेमेल दुनिया भर में साफ देखा जा रहा है. फ्लाइट-टू-सेफ्टी, एक वित्तीय बाजार की घटना है, जब निवेशक उच्च जोखिम वाले निवेशों को बेचते हैं और सुरक्षित निवेश खरीदते हैं, जैसे सोना और अन्य कीमती धातु इसमें शामिल हैं.

यूएसडी बेचना/खरीदना और अदला-बदली

विदेशी मुद्रा बाजार को लिक्विडिटी फॉर्म में कनवर्ट करने के लिए स्वैप कई चरणों में नीलामी के रास्ते से होते हैं. नीलामियां आम तौर पर कई कीमतों पर आधारित होती हैं यानी सफल बोलियां उनके संबंधित कोटेड प्रीमियम पर स्वीकार की जाती हैँ.

क्या कर सकता है केंद्रीय बैंक

केंद्रीय बैंक या तो स्पॉट या फॉरवर्ड मार्केट में डॉलर की बिक्री नहीं कर सकता है जैसा कि हम देख सकते हैं, भारतीय रुपये की  स्थिति वारंट है या INR (भारतीय  रुपये) दबाव को रोकने के लिए एक ही समय में स्पॉट और फॉरवर्ड मार्केट में बेच सकता है. इस तरह के हस्तक्षेप का उपयोग रुपये को अत्यधिक अस्थिरता से बचाने के लिए किया जाता है.

अब विदेशी निवेश होगा मुश्किल

यदि INR बहुत तेजी से डेप्रिसियेट करता है तो इससे विदेशी इन्फ्लेशनरी प्रेशर बढ़ेगा और महंगाई से लड़ाई खराब हो जाएगी. उदाहरण के लिए, RBI  की एक रिसर्च से ये सामने आया था कि रुपये में 5 प्रतिशत की गिरावट मुद्रास्फीति को लगभग 20 आधार अंकों तक बढ़ा सकती है. महत्वपूर्ण रूप से, रुपये की बढ़ती गिरावट से विदेशी संस्थागत निवेशक अपना निवेश भारत में करने से पहले कई बार अब सोचेंगे यानि अब देश में विदेशी निवेशक मुश्किल होगा.

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