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Heeraben Modi Death: आर्थिक तंगी से मजबूर होकर दूसरों के घर

Heeraben Modi Death: आर्थिक तंगी से मजबूर होकर दूसरों के घर धोएं झूठे बर्तन, विपरीत परिस्थितियों में पीएम मोदी को मां से मिलती थी ये प्रेरणा

अहमदाबाद: प्रधानमंत्री मोदी की मां हीरा बा ने शुक्रवार सुबह साढ़े तीन बजे अंतिम सांस ली. सांस लेने में तकलीफ के चलते उन्हें मंगलवार शाम अहमदाबाद के यूएन मेहता अस्पताल में भर्ती कराया गया था. हालांकि गुरुवार से उनकी सेहत में सुधार देखा गया था और अस्पताल ने भी इसकी पुष्टि की थी. लेकिन 18 जून 2022 को अपने सौवें वर्ष में प्रवेश करने वाली हीरा बा को डॉक्टरों और विशेषज्ञ टीम के बेहतरीन प्रयासों के बावजूद रोका नहीं जा सका, वह 30 दिसंबर को सुबह 3.30 बजे अनंत यात्रा के लिए रवाना हो गई.

उनकी यादों को संजोने के लिए वह अपने पीछे एक पूरा परिवार छोड़ गई हैं. अपनी मां को श्रद्धांजलि देते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि उनकी मां की सीख थी कि बुदि्ध से काम लो और शुद्धि के साथ जीवन जियो. पीएम मोदी की मां हीरा बा का जन्म 18 जून 1923 को मेहसाणा जिले की विसनगर तहसील में हुआ था. हीराबेन की माता का देहांत बचपन में ही हो गया था. बिन माता की हीरा बा का बचपन बेहद आर्थिक तंगी के चलते गरीबी में बीता. संघर्षों के कारण कम उम्र में ही उनके पास अनुभव का खजाना था.

घर में बड़ी होने के कारण वह पूरे परिवार की जिम्मेदारी भी उठाती थी. फिर बाद में छोटी उम्र में ही उनकी शादी वडनगर के मोदी परिवार में हो गई. वहां भी वे परिवार की सबसे बड़ी बहु थीं. यहां भी उनपर जिम्मेदारी बड़ी थी, लेकिन उन्होंने तनिक भी विचलित हुए बिना इसे उठाते हुए परिवार को एकजुट रखा. वह वडनगर के एक छोटे से घर में रहती थीं, जहां एक भी खिड़की नहीं थी. पति दामोदारदास मोदी ने जो थोड़ी बहुत सहूलियत दी थी, उसी थो़ड़े से आराम से संतोष होकर वह घर-गृहस्थी चलाती रहीं.

आर्थिक तंगी से मजबूर होकर सादगी से घर-गृहस्थी संभालना

घर में आर्थिक तंगी के समय हीराबेन ने दूसरे घरों में जूठे बर्तन धो कर घर खर्च संभाला, उन्होंने चरखा चलाने और सूत कातने का भी काम किया. संतान में उनके पांच पुत्र और एक पुत्री है. सबसे बड़े बेटे सोमा मोदी, उसके बाद अमृत, नरेंद्र, प्रह्लाद और पंकज मोदी हैं. बेटी का नाम वासंती है. जब बेटे अच्छे पद पर पहुंच गए तो वह छोटे बेटे पंकज मोदी के पास रहने लगीं. उम्र ज्यादा होने के बाद भी वह अपनी दिनचर्या खुद करने की जिद करती थी. वे अपने घर में बने भोजन को ही ग्रहण करती थी. प्रधानमंत्री मोदी जब भी उनसे मिलने आते तो वह गुड़ और लापसी से उनका मुंह मीठा कराती थीं.

विपरीत परिस्थितियों में मां से मिलती थी सहनशीलता

साल 2014 में प्रधानमंत्री बनने के बाद साल 2016 में नरेंद्र मोदी अपनी मां हीरा बा को अपने साथ दिल्ली ले गए. यहां वे माता को व्हीलचेयर पर बिठाकर पीएम हाउस के बगीचे में ले गए और वहां के बगीचे की जानकारी दी. 18 जून 2022 को हीरा बा ने 100वें वर्ष में प्रवेश किया तो वडनगर व गांधीनगर में कई कार्यक्रम आयोजित किए गए. प्रधानमंत्री मोदी भी माता से आशीर्वाद लेने उनके पास आए. हीराबेन के गांव वडनगर के हाटकेश्वर महादेव मंदर में 100 दीये की आरती की गई. वडनगर के सभी स्कूलों में बच्चों को पौष्टिक आहार दिए गए। वहीं, वडनगर में उनके शतायु होने को लेकर नवचंडी यज्ञ भी आयोजित किए गए थे.

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