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Holi 2023: इस बार केमिकल फ्री और गोबर के गुलाल से खेल

Holi 2023: इस बार केमिकल फ्री और गोबर के गुलाल से खेले इकोफ्रेंडली होली, गाय के पेट से प्लास्टिक की थैलियां निकली तो महिलाओं ने ऐसे बनाया प्लान

Holi with Organic Gulal: बिना रंगों के होली कैसे रंगीन हो सकती है. बाजार में जहां सिंथेटिक या केमिकल रंग और गुलाल हेल्थ को प्रभावित कर रहे हैं. तो वहीं शहर के लोग नेचुरल रंगों की ओर आकर्षित हो रहे हैं. लोगों को केमिकल वाले रंगों से बचाने के लिए जयपुर का एक गांव पूरी तरह जुट गया है. इस बार की होली इकोफ्रेंडली बनाने के लिए 64 परिवार मिलाल बन गये है. यहां गाय के गोबर से प्राकृतिक रंग बनाए जा रहे हैं.

जयपुर में रहने वाले गउ सार एनजीओ के संचालक संजय ने बताया की गाये के गोबर से बना गुलाल पूरी तरह ऑर्गेनिक है और हेल्थ के लिए 100 प्रतिशत सुरक्षित है. उन्होंने बताया की खुशबू के लिए फूलों की सुगंध मिलाई गई है और गोबर की दुर्गंध को हटाने के लिए पहले धूप में सुखा कर फूलों का नेचुरल इसेंशल मिला जाता है, गुलाल बनाने के बाद इसे फ्री में बांटा जाता है. इस प्रोडक्ट को अगले साल मार्केट में उतारें जाएगे.

संजय ने आगे बताया कि दूध देने में असमर्थ होने पर अक्सर पशुपालक गायों को बेसहारा छोड़ देते हैं. ऐसे में गौ उत्पादों की डिमांड बढ़ेगी तो इनके गोमूत्र और गोबर की महत्ता से ही इनका संरक्षण होने लगेगा. ये रोजगार का भी अच्छा जरिया है. आपको बता दें कि गांव में गाय के गोबर से गुलाल के अलावा कई तरह के उत्पाद बनाए जा रहे हैं. जिसमें कई तरह की मूर्तियां, टाइल्स, घड़ियां, नेम प्लेट, चाबी के छल्ले और राखी जैसे प्रोडक्ट शामिल हैं.

महिलाओं ने इतने कम समय में ऐसे बनाए इकोफ्रेंडली रंग

संजय ने बताया कि वे करीब चार साल पहले हिगोनिया गौशाला में गायों की सेवा करने गये थे. तब एक गाय का ऑपरेशन हुआ था. उसके पेट से कई किलो प्लास्टिक की थैलियां निकली थी. जिसे देखकर संजय ने एक टीम बनाकर गायों की सच्ची सेवा के लिए काम करने का फैसला किया. गांव का चयन करने के बाद वहां के ज्यादा से ज्यादा लोगों को जोड़ा शुरु किया. इसकी कुछ लोगों को ट्रेनिंग दिलवाई और फिर गांव वालों को स्पेशल ट्रेनिंग दी.

केमिकल फ्री और गोबर के गुलाल से खेले इकोफ्रेंडली होली

इसके बाद देश भर में अलग-अलग जगहों पर विजिट किया. काफी रिसर्च की गई गांव वालों को गुलाल बनाने की ट्रेनिंग दी गई. जिसके बाद गांव में अलग-अलग जगहों पर महिला ग्रुप में और घरों में गुलाल बनाने का काम करती हैं. इस बार गांव में ज्यादातर जगहों पर होली पर इसी गुलाल का इस्तेमाल किया जाएगा. ये तो सब जानते है की गाय के गोबर की पर्यावरण के लिए बेहतर है. गाय के गोबर से बने रंगों से कई लोग प्रभावित हुए. ये रंग हेल्थ और पर्यावरण के लिए बिलकुल सुरक्षित है. गुलाल बनाने के लिए अब तक 5 लाख रुपए महिलाओं को आमदनी हो चुकी है. इससे गांव में लोगों को रोजगार कई अवसर मिल रहे है.

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