Chhattisgarh:आजकल छोटे बच्चे से लेकर बड़े बुजुर्ग के हाथ में स्मार्ट फ़ोन होता है। फ़ोन के बिना तो हम अपने जीवन की कल्पना भी नहीं कर सकते। शहरों में नहीं बल्कि अब तो गावों में भी लोग फ़ोन का प्रयोग करते है।फ़ोन का क्रेज इतना है कि आपको गावों में जगह जगह पर बड़े बुजुर्ग यूट्यूब देखते नजर आएगे। आज हम आपको बताएगे ऐसे ही एक गांव के बारे में। छत्तीसगढ़ के रायपुर में तुसली गांव यूट्यूबर्स के हब में बदल गया है। इसमें बड़ी संख्या में स्थानीय लोग आनलाइन वीडियो शेयरिंग और सोशल मीडिया प्लेटफार्म के लिए सामग्री बना रहे हैं और इसके जरिए अपना करियर भी बना रहे हैं।वहाँ के स्थानीय लोगों के पास लगभग 40 YouTube चैनल हैं। मनोरंजन के अलावा ये लोग यूट्यूबर्स (YouTubers) शिक्षा पर आधारित सामग्री भी बनाते हैं।
ज्ञानेंद्र शुक्ला और जय वर्मा
गांव में इस यूट्यूब (YouTube) संस्कृति की शुरुआत दो दोस्तों ने मिलकर की थी। जिनका नाम है ,ज्ञानेंद्र शुक्ला और जय वर्मा। शुक्ला ने एसबीआई की नौकरी छोड़ दी थी और वर्मा ने अपना यूट्यूब (YouTube) करियर शुरू करने के लिए शिक्षक की नौकरी छोड़ दी।फिर जब गावं के और लोगो ने उन्हें ये काम करते देखा तो जल्द ही गांव के अन्य युवाओं में एक उत्साह देखने को मिला। उनका अनुसरण करते हुए पूरा तुसली गांव इस पेशे में आ गया।
40 फीसदी लोग यूट्यूब से जुड़े
इन दोनों दोस्तों की ये कहानी इतनी सरल नहीं रही.वो कहते है कि पहले हम यूट्यूब पर प्रोग्राम बनाने में संकोच करते थे और सार्वजनिक स्थानों पर अभिनय नहीं करते थे, लेकिन जब गांव के कुछ बुजुर्गों ने हमें रामलीला में अभिनय करने के लिए कहा तो हमारी झिझक दूर हो गई। आज इस गांव के लगभग सभी लोग यूट्यूब (YouTube) के लिए वीडियो बनाते हैं और बहुत कुछ कमाते हैं। उन्होंने कहा कि हमें रामलीला से बहुत कुछ सीखने को मिला। उसके बाद मंच का डर दूर हो गया। गांव में करीब 3,000 लोग हैं। इनमें से 40 फीसदी लोग यूट्यूब से जुड़े हैं।
30,000-35,000 रुपये कमाते
गांव के ही एक अन्य यूट्यूबर्स (YouTuber) जय वर्मा ने कहा, हमें देखकर लोगों ने यूट्यूब (YouTube) के लिए वीडियो बनाना शुरू कर दिया, बाद में टिकटॉक और अब रीलों के लिए भी वीडियो बनाने लगे। मेरे पास रसायन विज्ञान में एमएससी की डिग्री है। मैं एक अंशकालिक शिक्षक था और एक कोचिंग संस्थान में काम करता था। पहले मैंने महीने में 12,000 से 15,000 रुपये कमाए। अब हम महीने में 30,000-35,000 रुपये कमाते हैं। यूट्यूब नक्सल प्रभावित राज्य में लड़कियों को सशक्त बनाने का एक माध्यम है।एक और यूट्यूबर्स (YouTuber) पिंकी साहू ने कहा कि मुझे शुरू हुए 1.5 साल हो गए हैं। हमारे पास लगभग 40 यूट्यबू चैनल हैं। यहां हर कोई भाग लेता है। यहां महिलाओं को आमतौर पर घरों से बाहर निकलने की अनुमति नहीं है, लेकिन हमारे यूट्यूब चैनल के माध्यम से, हमने उन्हें काफी जानकारी दी है कि लड़कियां भी काफी कुछ कर सकती हैं।
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