Jammu Kashmir Ganderbal Terror Attack : जम्मू-कश्मीर के गांदरबल में हुए आतंकी हमले का सच बेहद भयावह है। आतंकियों ने विकास की दिशा में आगे बढ़ रहे मजदूरों को निशाना बनाकर कायरता का प्रदर्शन किया है। कश्मीर में धारा 370 हटने के बाद उमर अब्दुल्ला की नई सरकार के गठन के बाद यह पहला मौका है जब आतंकियों ने किसी विकास परियोजना को लक्ष्य बनाया है। जिस जेड-मोड टनल पर ये मजदूर काम कर रहे थे, वह भारत सरकार के महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट्स में से एक है। खुफिया और सुरक्षा एजेंसियों के अनुसार, नई सरकार बनने के बाद इस हमले में सबसे पहले द रेजिस्टेंस फ्रंट (टीआरएफ) का नाम सामने आ रहा है।
यह इस साल कश्मीर में टीआरएफ का पहला बड़ा हमला है। इससे पहले, इस संगठन ने जम्मू में एक आतंकी हमले को अंजाम दिया था। केंद्रीय गृह सचिव ने इस हमले की जानकारी जम्मू-कश्मीर के डीजीपी से ली और आतंकियों के खिलाफ चल रहे काउंटर ऑपरेशन का ब्योरा भी प्राप्त किया। यह हमले से स्पष्ट है कि नई सरकार के गठन के बाद टीआरएफ ने अपनी गतिविधियों को तेज किया है।
कौन है TRF ? जिसने ली हमले की ज़िम्मेदारी
द रेजिस्टेंस फ्रंट (TRF) जम्मू-कश्मीर में सक्रिय एक आतंकवादी संगठन है। यह लश्कर-ए-तैयबा (LeT) की शाखा के रूप में उभरा है। आर्टिकल 370 के निरस्त होने और जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म होने के बाद, TRF ने लश्कर की ऑनलाइन इकाई के रूप में अपनी शुरूआत की। कराची पुलिस के अनुसार, लगभग छह महीने में TRF ने ऑनलाइन लोकप्रियता हासिल की। इस दौरान, TRF विभिन्न संगठनों जैसे लश्कर के अलावा तहरीक-ए-मिल्लत इस्लामिया और गजनवी हिंद का मिश्रण बन गया।
कश्मीर में लगातार आतंकी वारदात
2022 की वार्षिक रिपोर्ट में, जम्मू-कश्मीर(Ganderbal Terror Attack) पुलिस ने बताया कि उस वर्ष कश्मीर में सुरक्षा बलों के 90 से अधिक ऑपरेशनों के दौरान 42 विदेशी नागरिकों समेत 172 आतंकवादी मारे गए। घाटी में मारे गए आतंकवादियों में से अधिकांश (108) द रेजिस्टेंस फ्रंट या लश्कर-ए-तैयबा से थे। इसके अतिरिक्त, आतंकवादी समूहों में शामिल होने वाले 100 लोगों में से 74 की भर्ती TRF द्वारा की गई, जो पाकिस्तान समर्थित आतंकवादी समूह के बढ़ते खतरे को दर्शाता है।

TRF ने माइग्रेंट्स को बनाया निशाना
टीआरएफ का नाम तब मुख्यधारा में आया जब उसने 2020 में बीजेपी कार्यकर्ताओं फिदा हुसैन, उमर राशिद बेग और उमर हाजम की कुलगाम में बेरहमी से हत्या की थी। टीआरएफ कश्मीर में ऐसा माहौल वापस लाना चाहता है जैसा कि 90 के दशक में था। टीआरएफ के आतंकवादी विशेष रूप से टारगेट किलिंग पर ध्यान केंद्रित करते हैं और वे आमतौर पर गैर-कश्मीरियों को निशाना बनाते हैं, ताकि बाहरी राज्यों से लोग जम्मू-कश्मीर आने से हिचकिचाएँ।
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26 फरवरी, 2023 को, संजय शर्मा अपनी पत्नी के साथ कश्मीर के पुलवामा में एक स्थानीय बाजार जा रहे थे, तभी आतंकवादियों ने उन पर गोलियां चलाईं। सुरक्षाकर्मी के रूप में काम करने वाले शर्मा को तुरंत अस्पताल ले जाया गया, लेकिन गोली लगने के कारण उनकी मौत हो गई। इस हत्या के पीछे द रेजिस्टेंस फ्रंट (TRF) का हाथ था। TRF ने शर्मा की हत्या का एकमात्र कारण यह बताया कि वे एक कश्मीरी पंडित थे। 2019 में अस्तित्व में आने के बाद से, यह आतंकवादी संगठन दर्जनों आतंकी हमलों में संलग्न रहा है, विशेष रूप से घाटी में अल्पसंख्यक कश्मीरी पंडितों को निशाना बनाते हुए।