Terrorism on Kashmir’s Economy : एक बार फिर आतंकवाद ने कश्मीर की ज़मीन को खून से लाल कर दिया है। इस बार निशाना बने हैं मासूम पर्यटक, जो शांति और खूबसूरती की तलाश में पहलगाम पहुंचे थे। ये हमला सिर्फ कुछ लोगों पर नहीं, बल्कि कश्मीर की आत्मा, उसकी परंपरा और वहां की आमदनी पर सीधा हमला है। हर साल लाखों टूरिस्ट श्रीनगर और आसपास के इलाकों का रुख करते हैं। ये सैलानी न सिर्फ कश्मीर की खूबसूरती को देखने आते हैं, बल्कि स्थानीय लोगों की रोज़ी-रोटी का भी बड़ा ज़रिया हैं।
12 हज़ार करोड़ रुपये की इंडस्ट्री
कश्मीर की टूरिज्म इंडस्ट्री करीब 12,000 करोड़ रुपये की है, जो राज्य की GDP का 7-8 प्रतिशत हिस्सा है। 2030 तक इसके 25,000 से 30,000 करोड़ रुपये तक पहुंचने की उम्मीद की जा रही थी। लेकिन इस आतंकी हमले ने इस विकास की रफ्तार को रोक दिया है।
हर साल कितना बढ़ा टूरिज्म
इन सालों में कश्मीर आने वाले टूरिस्ट की संख्या कुछ इस तरह रही है:
2018: 1.7 करोड़
2019: 1.6 करोड़
2020 (कोविड का असर): 34.7 लाख
2021: 1.1 करोड़
2022: 1.9 करोड़
2023: 2.1 करोड़
2024: 2.3 करोड़
सिर्फ 2024 में ही 2.36 करोड़ सैलानी आए थे, जिनमें से 65,000 से ज्यादा विदेशी पर्यटक थे।
2.5 लाख लोगों की कमाई पर संकट
कश्मीर में पर्यटन से जुड़े लगभग 2.5 लाख लोग जैसे होटल कर्मचारी, हाउस बोट मालिक, टैक्सी ड्राइवर, गाइड और हस्तशिल्प बेचने वाले अपनी आजीविका इसी इंडस्ट्री पर निर्भर करते हैं। डल झील की 1500 से ज्यादा हाउस बोट्स, 3000 होटल्स और तमाम कैब सेवाएं अब ठप होने लगी हैं। इस हमले के बाद बुकिंग्स रद्द हो रही हैं, फ्लाइट्स, होटल्स और टैक्सी की मांग में गिरावट देखी जा रही है।
सन्नाटा छा गया है पर्यटन स्थलों पर
गुलमर्ग, सोनमर्ग, पहलगाम और डल झील जैसे लोकप्रिय टूरिस्ट प्लेसेज़ अब वीरान हो गए हैं। गुलमर्ग ने ही अकेले 2024 में 103 करोड़ रुपये की कमाई की थी। लेकिन अब इन जगहों पर डर और अनिश्चितता का माहौल है।
बॉलीवुड और वेडिंग प्लानर्स भी पीछे हटे
कश्मीर हमेशा से फिल्मों और वेडिंग डेस्टिनेशन के लिए फेवरेट रहा है। हाल के वर्षों में कई ओटीटी और बॉलीवुड प्रोजेक्ट्स यहीं शूट हुए। डेस्टिनेशन वेडिंग्स की भी मांग बढ़ी थी। लेकिन इस हमले के बाद फिल्म और वेडिंग यूनिट्स ने अपने प्लान कैंसल करने शुरू कर दिए हैं।
विकास की रफ्तार थमी
सरकार कश्मीर के विकास के लिए 1000 करोड़ की योजना पर काम कर रही थी। एयर कनेक्टिविटी सुधारी जा रही थी, वंदे भारत ट्रेन की शुरुआत होनी थी, और विदेशी सैलानियों के लिए ऑन-अराइवल वीज़ा जैसी सुविधाएं लाई जा रही थीं। 75 नए टूरिज्म स्पॉट्स भी विकसित किए जा रहे थे। लेकिन आतंक की एक घटना ने इन सारे प्लान्स को पीछे धकेल दिया है।