Ramazan 2022: आज रमजान महीने का आखिरी शुक्रवार है. इसे (Last Friday Of Ramzan) भी कहा जाता है. रमजान मुस्लिम समुदाय का एक पावन पर्व होता है। जिसे वह बेहद पवित्र मानते हैं और इस्लामी कैलेंडर के अनुसार रमजान नवां महीना होता है।
इस माह की शुरुआत चांद देखने के बाद ही होती है। फिर पूरा महीना मुस्लिम समुदाय के लोगों द्वारा रोजा रखा जाता है और एक महीने रमजान के पर्व को मनाया जाता है। जिसमें पूरी दुनिया के मुस्लिम इस पर्व को मनाते हैं। रमजान के महीने को इबादत का महीना भी कहा जाता है, जिस दौरान बंदगी करने वाले हर शख्स की ख्वाहिश अल्लाह पूरी करता है। रोजा रखने से पहले खाना खाया जाता है और पूरा दिन भूखा-प्यासा रहा जाता है और उसके बाद रोजा खोलने के बाद ही खाया जाता है।
क्यों मनाया जाता है रमजान ?
यह माना जाता है की इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार सन 2 हिजरी में अल्लाह के हुक्म से मुसलमानों को रोजे रखने जरूरी किए गए। इसी महीने में शब-ए-कदर में अल्लाह ने कुरान जैसी नेमत दी। तब से मुस्लिम इस महीने में रोजे रखते आ रहे हैं। इसीलिए रमजान को पवित्र त्योहार माना जाता है। रोजे रखने का मकसद अल्लाह में यकीन को ओर गहरा करना और इबादत का शौक पैदा करना है। साथ ही सभी तरह के गुनाहों और गलत कामों से तौबा की जाती है। इसके अलावा नेकी का काम करने को प्रेरित करना, लोगों से हमदर्दी रखना और खुद पर नियंत्रण रखने का जज्बा पैदा करना भी इसका हिस्सा है।
रमजान के दिनों में लोग सुबह उठकर सहरी करते हैं। सहरी खाने का वक्त सुबह सादिक (सूरज निकलने से करीब डेढ़ घंटे पहले का वक्त) होने से पहले का होता है। सहरी खाने के बाद रोजा शुरू हो जाता है। रोजेदार पूरे दिन कुछ भी खा और पी नहीं सकता। शाम को तय वक्त पर इफ्तार कर रोजा खोला जाता है। एहतियात के तौर पर सूरज डूबने के 3-4 मिंट बाद ही रोजा खोलना चाहिए। फिर रात की इशा की नमाज (करीब 9 बजे) के बाद तरावीह की नमाज अदा की जाती है। इस दौरान मस्जिदों में कुरान भी पढ़ा जाता है। ये सिलसिला पूरा महीना चलता है। महीने के अंत में 29 का चांद होने पर ईद मनाई जाती है। 29 का चांद नहीं दिखने पर 30 रोजे पूरे कर अगले दिन ईद का जश्न मनाया जाता है।
दान देने का महत्व है रमजान में
सन 2 हिजरी में ही जकात (चैरिटी) को भी जरूरी बताया गया है। इसके तहत अगर किसी के पास साल भर उसकी जरूरत से अलग साढ़े 52 तोला चांदी या उसके बराबर कैश या कीमती सामान है तो उसका ढाई फीसदी जकात यानी दान के रूप में गरीब या जरूरतमंद मुस्लिम को दिया जाता है। वहीं ईद के दिन से ही फितरा (एक तरह का दान ही होता है) हर मुस्लिम को अदा करना होता है। इसमें 2 किलो 45 ग्राम गेहूं की कीमत तक रकम गरीबों में दान की जाती है। इसलिए रमजान अपने आप में खास होता है।
कोरोना प्रोटोकॉल की गाइडलाइन जारी
रमजान का पाक महीना चल रहा है. इस बीच कोरोना के मामले भी तेजी से बढ़े हैं. ऐसे में रमजान के आखिरी शुक्रवार के लिए एडवाइजरी जारी की गई है. लखनऊ में इस्लामिक सेंटर ऑफ इंडिया ने मुसलमानों को घरों में ‘अलविदा जुम्मा’ (रमजान का अंतिम शुक्रवार) की नमाज अदा करने के लिए अपील की है. इस्लामिक सेंटर के अध्यक्ष और लखनऊ ईदगाह के प्रमुख सुन्नी धर्मगुरु मौलाना खालिद रशीद फरंगी महाली ने कहा कि अलविदा जुम्मा के लिए कोविड 19 सुरक्षा प्रोटोकॉल का पालन करना महत्वपूर्ण है. मौलाना ने कहा कि “नमाज की पेशकश करते समय भी मास्क पहने और सामाजिक दूरी बनाए रखें. पांच लोग ही मस्जिद में अलविदा नमाज के लिए मौजूद रहें और कोई छठा व्यक्ति नहीं होना चाहिए.”
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ कह चुके हैं कि उनकी सरकार सभी धर्मों को समान सम्मान देती है, लेकिन अगर लोग दूसरों को परेशान करने के लिए अपनी आस्था का घिनौना प्रदर्शन करते हैं, तो इसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। सीएम योगी ने कहा कि कुछ लोगों ने हनुमान जयंती के अवसर पर सूबे के माहौल को प्रदूषित करने की कोशिश की थी। इसको देखते हुए सीएम ने अधिकारियों से 3 मई को ईद और अक्षय तृतीया एक साथ मनाए जाने की संभावना के लिए तैयार रहने को कहा है। खुले में नमाज न पढ़ने के आदेश के बाद सभी जिलों में मुस्लिम धर्मगुरुओं और पुलिस प्रशासन के बीच बैठक हुई है।
बाजारों में EID का जश्न देखने को मिलने लगा है, COVID के बीच बाज़ार जग्मगाने लगे है.
(By:Abhinav Shukla)