Himachal Pradesh : हिमाचल प्रदेश की मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू की सरकार ने प्रदेश के निवासियों से टैक्स वसूलने का एक नया मानदंड स्थापित किया है। सुक्खू सरकार ने शहरी क्षेत्रों में टॉयलेट की संख्या के आधार पर टैक्स लेने का निर्णय लिया है।
भारत में शायद ही किसी राज्य में लोगों से टॉयलेट सीटों के आधार पर टैक्स वसूला जाता है। आर्थिक संकट का सामना कर रही हिमाचल सरकार ने हाल ही में इस टैक्स वसूली से संबंधित अधिसूचना जारी की है।
इस अधिसूचना में बताया गया है कि शहरी क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को अपने घरों में बनाए गए शौचालय के लिए प्रति सीट 25 रुपये का शुल्क देना होगा। यह अतिरिक्त शुल्क सीवरेज बिल के साथ जल शक्ति विभाग के खाते में भेजा जाएगा। इसका मतलब यह है कि यदि किसी के घर में चार टॉयलेट सीट हैं, तो उसके पानी के बिल में 100 रुपये का अतिरिक्त शुल्क जुड़ जाएगा। इससे लोगों के पानी के बिल बढ़ने की संभावना निश्चित रूप से बनी हुई है।
मुख्यमंंत्री ने क्या कहा ?
मुख्यमंत्री सुक्खू का कहना है कि शौचालय की गणना घरों में मौजूद टॉयलेट सीटों के आधार पर की जाएगी। हालांकि, सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि जहां सीवरेज की सुविधा उपलब्ध है, वहां टॉयलेट सीट टैक्स लागू होगा, चाहे वह शहरी क्षेत्र हो या ग्रामीण। इसके साथ ही, सरकार ने लोगों को मिलने वाली मुफ्त सेवाओं को भी बंद कर दिया है। इसके अतिरिक्त, लोगों को हर महीने प्रति कनेक्शन 100 रुपये का पानी किराया भी चुकाना होगा।
टॉयलेट टैक्स का सबसे अधिक प्रभाव शहरी क्षेत्र में रहने वाले लोगों पर पड़ेगा, क्योंकि आमतौर पर शहरों में लोग अपने घरों में एक से ज्यादा टॉयलेट बनवाते हैं। अब इन सभी टॉयलेट पर अलग-अलग शुल्क लगेगा। हिमाचल प्रदेश में कुल 5 नगर निगम, 29 नगर पालिकाएं और 17 नगर पंचायतें हैं, जहां कुल मिलाकर लगभग 10 लाख लोग निवास करते हैं। ऐसे में नए सरकारी आदेश से राज्य की एक बड़ी आबादी पर प्रभाव पड़ने की संभावना है।