Vikas Barala stalking case: हरियाणा सरकार द्वारा 18 जुलाई 2025 को विकास बराला को असिस्टेंट एडवोकेट जनरल (AAG) नियुक्त करने के फैसले ने राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है। विकास बराला, जो 2017 में आईएएस अधिकारी वी.एस. कुंडू की बेटी वर्णिका कुंडू के पीछा करने और अगवा करने की कोशिश के आरोप में जमानत पर हैं, अब राज्य का कानूनी प्रतिनिधित्व करेंगे। यह नियुक्ति ऐसे समय में की गई है जब मामला अब भी अदालत में विचाराधीन है और अगली सुनवाई 2 अगस्त को है। विपक्ष, सोशल मीडिया और नागरिक समाज इस नियुक्ति पर सवाल उठा रहे हैं। लोगों का कहना है कि महिला सुरक्षा के मुद्दे पर सरकार की कथनी और करनी में बड़ा फर्क है।
2017 का मामला आज भी अधूरा
Vikas Barala पर अगस्त 2017 में वर्णिका कुंडू का पीछा करने, रास्ता रोकने और जबरन गाड़ी में घुसने की कोशिश करने के आरोप हैं। उनके साथ उनके मित्र आशीष कुमार भी थे। घटना के समय दोनों नशे में थे और चंडीगढ़ पुलिस ने दोनों को सेक्टर 26 थाने में आईपीसी की धारा 354D (पीछा करना), 341 (गलत तरीके से रोकना), 365 (अपहरण की कोशिश) और 511 के तहत गिरफ्तार किया था। अक्टूबर 2017 में आरोप तय किए गए और विकास को 5 महीने जेल में रहना पड़ा था। जनवरी 2018 में उन्हें जमानत मिली।
विवादास्पद नियुक्ति
18 जुलाई 2025 को हरियाणा सरकार ने विकास बराला को असिस्टेंट एडवोकेट जनरल नियुक्त किया। वह दिल्ली में हरियाणा के कानूनी मामलों का प्रतिनिधित्व करेंगे। कुल 96 अन्य कानून अधिकारियों के साथ विकास का चयन किया गया, जिसमें AAG, DAG और अन्य पद शामिल हैं। यह चयन हरियाणा लॉ ऑफिसर (एंगेजमेंट) एक्ट 2016 के तहत बनी चयन समिति द्वारा किया गया।
विपक्ष का विरोध और पीड़िता की प्रतिक्रिया
कांग्रेस नेता भूपिंदर सिंह हुड्डा ने कहा कि ऐसे पदों पर केवल योग्य और ईमानदार लोगों की नियुक्ति होनी चाहिए। INLD विधायक आदित्य देवीलाल ने सवाल उठाया कि क्या एक आपराधिक मुकदमे का आरोपी राज्य का प्रतिनिधित्व कर सकता है? वहीं, पीड़िता वर्णिका कुंडू ने कहा कि नियुक्ति पर वही लोग जवाब दें जो इसे लेकर ज़िम्मेदार हैं। उन्होंने न्यायपालिका में भरोसा जताया लेकिन साथ ही कहा कि “8 साल बीत गए हैं, अब इस मामले में लोगों की रुचि भी कम हो गई है।”
सरकार का बचाव और जनता की नाराजगी
हरियाणा मंत्री रणबीर गंगवा ने विकास की नियुक्ति का बचाव करते हुए कहा कि यह पूरी तरह से निष्पक्ष प्रक्रिया के तहत की गई है और कांग्रेस को ‘नेपोटिज्म’ की बात करने का कोई हक नहीं। वहीं, सोशल मीडिया पर इस नियुक्ति को लेकर जबरदस्त गुस्सा देखने को मिल रहा है। लोग इसे महिला सुरक्षा के मुद्दे पर सरकार का दोहरा रवैया और सत्ता की पहुंच का दुरुपयोग बता रहे हैं।
Vikas Barala को हटाने को लेकर सरकार की ओर से अभी तक कोई संकेत नहीं मिला है। अगली कोर्ट सुनवाई 2 अगस्त 2025 को होनी है, जिसमें बचाव पक्ष की गवाही दर्ज की जाएगी। अब निगाहें इस बात पर हैं कि क्या इस जन दबाव के चलते सरकार अपने फैसले पर पुनर्विचार करेगी या नहीं।