उत्तर प्रदेश में आपराधिक वारदातों की वैज्ञानिक तरीके से जांच के जरिए मामलों का निस्तारण तेजी से हो सके इसके लिए उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने स्टेट इंस्टीट्यूट आफ फॉरेंसिक साइंस की स्थापना की है। आपको बता दें कि यूपी SIFS  के स्थापना के जरिए अपराधिक मामलों के तेजी से निस्तारण के लिए इंस्टिट्यूट जल्द काम करना शुरू कर रहा है।  योगी सरकार इंस्टीट्यूट की मैनपावर के लिए प्रशासनिक, शैक्षणिक और गैर शैक्षणिक रिक्त पदों पर प्रतिनियुक्ति के माध्यम से तैनाती करने जा रही है।

यूपी स्टेट इंस्टिट्यूट ऑफ फॉरेंसिक साइंसेज में 66 पदों के लिए सरकारी विभागों के इच्छुक अधिकारियों और कर्मचारियों से आवेदन मांगे हैं। आवेदन से संबंधित जानकारी यूपीएसआईएफएस की वेबसाइट पर भी उपलब्ध है, यूपी सरकार ने शैक्षणिक सत्र 2023-24 की प्रवेश प्रक्रिया भी शुरू कर चुकी है।

स्टेट इंस्टीट्यूट आफ फॉरेंसिक साइंस में प्रतिनियुक्ति पर तैनाती शुरू

विभिन्न सरकारी विभागों में कार्यरत इच्छुक अभ्यर्थी उत्तर प्रदेश स्टेट इंस्टीट्यूट आफ फॉरेंसिक साइंसेज में 21 पदों के लिए 66 लोगों की तैनाती की जा रही है। वर्तमान में केंद्र और राज्य सरकार में कार्यरत शासकीय अधिकारी कर्मचारी ही नियुक्त के लिए आवेदन कर सकेंगे।

फॉरेंसिक के विभिन्न कोर्स की पढ़ाई भी इंस्टिट्यूट में शुरू

यूपी स्टेट इंस्टिट्यूट ऑफ फॉरेंसिक साइंस में अलग-अलग कोर्सेस में पढ़ाई की व्यवस्था है, जिसमें एमएससी फॉरेंसिक साइंस, पीजी डिप्लोमा इन फॉरेंसिक डॉक्यूमेंट एग्जामिनेशन और पीजी डिप्लोमा साइबर सिक्योरिटी है। जिसमें एमएससी फॉरेंसिक साइंस 2 साल का और डिप्लोमा कोर्सेस एक 1 साल की अवधि के होंगे।

आपराधिक मामलों में सजा दिलाने में तेजी लाएगा इंस्टिट्यूट

अपराधियों को सजा दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा इंस्टीट्यूट आफ फॉरेंसिक साइंस, आपराधिक मामलों की वैज्ञानिक तरीके से साक्ष्यों के आधार पर तकनीक का सही इस्तेमाल कैसे करें यह सिखाने का काम करेगा। यूपी स्टेट फॉरेंसिक इंस्टिट्यूट, यह उत्तर प्रदेश का पहला फॉरेंसिक साइंस इंस्टिट्यूट है। जिसमे फॉरेंसिक से जुड़ी हुई जांचे यूपी में होंगी।

यूपी स्टेट इंस्टिट्यूट ऑफ फॉरेंसिक साइंस में कई ऐसी जांच भी हो नी है जो पहले यूपी से बाहर जांच के लिए जाते थे और एक लंबा वक्त जांच प्रक्रिया में लगता था।  जिससे कि अपराधी को सजा दिलाने में काफी कठिनाइयों का सामना पुलिस को करना पड़ता था। लेकिन अब ऐसे साक्ष्य इंस्टिट्यूट में वैज्ञानिक पद्धति से सुलझाए जा सकेंगे और अपराधियों को सजा दिलाने में तेजी आएगी।