उत्तर प्रदेश से एक बड़ी खबर सामने आ रही है। आपको बता दें कि उम्र कैद की सजा काट रहे उत्तर प्रदेश के पूर्व मंत्री अमरमणि त्रिपाठी और उनकी पत्नी मधुमणि त्रिपाठी को जेल से रिहाई मिल गई है। बता दें कि ये दोनों मधुमिता शुक्ला हत्याकांड मामले में उम्रकैद की सजा काट रहे थे। बता दें कि सीबीआई की विशेष अदालत ने पूर्व मंत्री अमरमणि त्रिपाठी और उनकी पत्नी मधुमणी त्रिपाठी को मधुमिता शुक्ला हत्याकांड में दोषी पाए जाने पर उम्र कैद की सजा सुनाई थी। तभी से दोनों जेल में थे। मगर अब शासन ने इन दोनों को जेल से रिहा करने का आदेश जारी कर दिया है। इस आदेश के बाद अब करीब 20 साल बाद अमरमणि त्रिपाठी और उनकी पत्नी जेल से बाहर आएगे। वहीं अब इस मामले को लेकर शासन ने दोनों को रिहा करने का आदेश जारी कर दिया है। राज्यपाल के आदेश पर कारागार प्रशासन विभाग ने इसका आदेश जारी किया है। बता दें कि पूर्व मंत्री अमरमणि त्रिपाठी आज सुबह रिहा हो जाएंगे।
जानिए क्या है मधुमिता शुक्ला हत्याकांड?
आपको बता दें कि लखनऊ की पेपर मिल कॉलोनी में 9 मई 2003 को कवयित्री मधुमिता शुक्ला का मर्डर कर दिया गया था। उनकी गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। इसका आरोप अमरमणि त्रिपाठी पर लगा था। इस पूरे मामले में बाद में दोषी करार देते हुए अमरमणि त्रिपाठी, उनकी पत्नी मधुमणि त्रिपाठी, रोहित चतुर्वेदी और शूटर संतोष राय को सजा सुनाई गई थी।
बता दें कि उस समय अमरमणि त्रिपाठी का नाम बसपा के कद्दावर नेताओं में शुमार था। इस हत्याकांड के बाद देहरादून की फास्ट ट्रैक कोर्ट ने 24 अक्टूबर 2007 को अमरमणि, उनकी पत्नी मधुमणि, भतीजा रोहित चतुर्वेदी और शूटर संतोष राय को दोषी करार देते हुए उम्रकैद की सजा सुना दी थी।
मधुमिता शुक्ला की बहन निधि शुक्ला का बड़ा बयान आया सामने
इस मामले को लेकर मधुमिता शुक्ला की बहन निधि शुक्ला का भी बयान सामने आया है। उन्होंने यूपी सरकार से रिहाई के आदेश रोकने की गुहार लगाई है। उन्होंने कहा है कि, “हमारी तरफ से इस मामले में लगातार बीते 15 दिनों से उत्तर प्रदेश सरकार और राज्यपाल महोदय को अवगत कराया जा रहा है कि इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल हो चुकी है और याचिका को स्वीकार भी कर लिया गया है। हमारी याचिका पर 25 अगस्त की सुबह 11 बजे सुनवाई होनी है. मेरा अनुरोध है कि सुप्रीम कोर्ट के द्वारा इस मामले में की जाने वाली सुनवाई तक रिहाई के आदेश को रोका जाए. सिर्फ कुछ घंटे की बात है. सुप्रीम कोर्ट के आदेश का इंतजार किया जाए।”