गुजरात के गोधरा में साबरमती एक्सप्रेस में आगजनी के मामले में आठ दोषियों को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। सुप्रीम कोर्ट ने आठ दोषियों को जमानत दे दी है। आठ दोषी आजीवन कारावास की सजा काट रहे थे। अदालत ने इन दोषियों को 17-18 साल जेल में बिताने के आधार पर जमानत दी है। इन दोषियों को निचली अदालत और हाइकोर्ट से उम्रकैद की सजा मिली थी।बता दें कि चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस पीएस नरसिम्हा की बेंच ने 8 दोषियों को जमानत दे दी है। अदालत ने इसी साल 20 फरवरी को दोषियों की आयु और कारागार में बिताए गए समय समेत उनकी डिटेल मांगी थी ताकि फैसला करने में मदद मिल सके।
बता दें कि कोर्ट में गुजरात सरकार का पक्ष सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने रखा। मेहता ने 2017 के दुजरात हाई कोर्ट के उस फैसले पर कड़ी असहमति जताई है। जिसमें 11 दोषियों की मौत की सजा को उम4 कैद में बदल दिया गया था। वही वरिष्ठ अधिवक्ता ने संजय हेगड़े ने कहा कि कुछ दोषियों की उम्र अब 60 साल पार हो चुकी हैं। जिन 11 दोषिों को निचली अदालत से मौत की सजा मिली थी, उनकी उम्र का जिक्र करते हुए हेगड़े ने कहा कि अब यह अदालत पर ही निर्भर है कि मौत की सजा कायम रखने योग्य है या नहीं।
जानिए क्या है गोधरा कांड
27 फरवरी, 2002 को गुजरात के गोधरा रेलवे स्टेशन पर साबरमती एक्सप्रेस के कुछ डिब्बों में आग लगा दी गई थी। इस ट्रेन में आग लगाने से पहले डिब्बों के दरवाजे बंद कर दिए गए थे। बता दें कि इस अग्निकांड में अयोध्या से लौट रहें 59 कारसेवक जिंदा जल गए थे। जिसके बाद गुजरात में हड़कंप मच गया। गोधरा कांड में 2011 में एक स्थानीय अदालत ने 31 अभियुक्तों को दोषी ठहराया और 63 लोगों को बरी कर दिया था। निचली अदालत ने 11 अभियुक्तों को मृत्युदंड और 20 को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी।