उत्तर भारत के दूसरे इलाके की तरह कानपुर में भी शीत लहर का प्रकोप। कानपुर में हृदय रोग से 24 घंटे में 25 मौतें। गुरुवार को कानपुर के हृदय संस्थान में 723 मरीज अपना इलाज कराने पहुंचे। जिसमें की 40 से ज्यादा मरीजों की हालत गंभीर बनी हुई। वहीं डॉक्टर्स की मानें तो ठंड में हृदय रोगों की समस्या काफी बढ़ रही।
हृदय रोगों की समस्या काफी आम
आप सभी लोग देख रहें होंगे की इन दिनों हृदय रोगों की समस्या काफी आम हो गई है। युवा से लेकर बुजु्र्ग तक हृदय रोग से अधिकतर मौंते हो रहीं है। ऐसे में अगर हम बात उत्तर भारत की करें तो यहां ठंड से लोगो का हाल बुरा है। उत्तर भारत के दूसरे इलाके की तरह कानपुर में भी शीत लहर का बहुत तेजी से प्रकोप बढ़ रहा है। कानपुर में गुरुवार को हृदय संस्थान में 723 मरीज अपना इलाज कराने पहुंचे। जिसमें से 40 से ज्यादा मरीजों की हालत बेहद गंभीर पाई गई।
7 लोगो की मौत इलाज के दौरान हो गई
बताते चलें की हृदय संस्थान के डॉक्टर्स का कहना है कि बीते दिन 723 में से 39 मरीजों का ऑपरेशन करना पड़ा। वहीं एक मरीज की एंजियोग्राफी कराई गई। जिसमे से 7 लोगो की मौत इलाज के दौरान हो गई।बता दें की हार्ट और ब्रेन अटैक से पूरे शहर में रोगियों की मौत का आंकड़ा 25 रहा। इनमें से 17 हृदय रोगी तो कार्डियोलॉजी की इमरजेंसी तक ही नहीं पहुंच पाए। जिसके चलते उन्हें चक्कर आया, बेहोश हुए और खत्म हो गए।
इस साल कई पुराने रिकॉर्ड ध्वस्त कर सकती ठंड
मौसम विशेषज्ञों का अनुमान है कि जलवायु परिवर्तन की वजह से तकरीबन हर मौसम में असामान्य व्यवहार नजर आता है। मानव जनित गतिविधियों की वजह से होने वाले जलवायु परिवर्तन का असर गर्मियों में भीषण गर्मी और सर्दियों में कड़ाके की ठंड के तौर पर सामने आ रहा है। मौसम विज्ञानियों की मानें, तो जलवायु परिवर्तन पर रोक लगाने के लिए कड़े कदम नहीं उठाए गए, तो मौसमों में ऐसे बदलाव देखे जाते रहेंगे।
जनवरी माह की ठंड लोगों पर पड़ रही भारी
एक्सपर्ट के मुताबिक, आने वाले कुछ दिनों में पारा और गिर सकता है।इस साल पड़ने वाली ठंड कई पुराने रिकॉर्ड ध्वस्त कर सकती है। देश की राजधानी दिल्ली में इन दिनों पहाड़ो से भी ज्यादा ठंड पड़ रही है। इस स्थिति में सवाल उठना लाजिमी है कि आखिर उत्तर भारत में इतनी ठंड क्यों पड़ती है? जनवरी माह की भारी ठंड लोगों के दिल और दिमाग दोनों पर भारी पड़ रही है। डॉक्टरों का कहना है कि ठंड में अचानक ब्लड प्रेशर बढ़ने से नसों में ब्लड क्लॉटिंग यानी खून का थक्का जम जाता है। इसी वजह से हार्ट अटैक और ब्रेन अटैक पड़ रहा है।