अमेरिकी स्पीकर नैंसी पेलोसी के ताइवान के दौरे से चीन खुश नजर नहीं आ रहा है। पेलोसी के दौरे पर चीन ने आपत्ति जताई है। चीन ने अमेरिका को चेतावनी भी दी है। चीन का कहना है इसका पूरी ताकत के साथ जवाब दिया जाएगा।
एक और महायुद्ध की तैयारी हुई शुरू
इस बीच ताइवान में भी जंग की स्थिति से निपटने की तैयारियां शुरू हो गईं हैं। दरअसल अंडरग्राउंड कार पार्किंग, सबवे स्टेशन में शेल्टर बनाए जा रहे हैं ताकि चीन के संभावित हवाई हमलों से लोगों को बचाया जा सके।

ताइवान की राजधानी ताइपे में ऐसे 4,600 से ज्यादा शेल्टर बनाए गए हैं,। जहां 1.20 करोड़ से ज्यादा लोग रह सकते हैं। 18 साल की हार्मोनी वू ने न्यूज एजेंसी से कहा कि हमें नहीं पता कि जंग कब शुरू हो सकती है। ऐसी स्थिति में जान बचाने के लिए शेल्टर बहुत जरूरी है।
चीन और अमेरिका आमने-सामने
वहीं ताइवान को लेकर एक बार फिर चीन और अमेरिका आमने-सामने आ गए हैं। क्योंकि चीन की धमकी के बावजूद भी अमेरिकी सदन की स्पीकर नैंसी पेलोसी ताइवान पहुंच गई हैं। चीन ने पेलोसी को ताइवान न जाने की हिदायत दी है। चीन का कहना है कि अगर अमेरिका ऐसा करता है तो फिर उसका कड़ा जवाब दिया जाएगा।

आपको नैंसी पेलोसी सिंगापुर, मलेशिया, साउथ कोरिया और जापान के दौरे पर हैं। अब तक उनके ताइवान दौरे को लेकर कुछ साफ नहीं था। लेकिन पेलोसी बीती रात को ताइवान पहुंच गई है। 25 साल बाद ऐसा हो रहा है, जब अमेरिकी सरकार का कोई अधिकारी ताइवान जा रहा है।
पिछले हफ्ते चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन से फोन पर बात की थी। इस फोन पर जिनपिंग ने बाइडेन से कहा था कि अमेरिका को ‘वन-चाइना प्रिंसिपल’ को मानना चाहिए। साथ ही धमकाते हुए कहा था, ‘जो लोग आग से खेलते हैं, वो खुद जल जाते हैं.’
अमेरिका को ‘वन-चाइना प्रिंसिपल’ को मानना चाहिए
इस पर बाइडेन ने जवाब देते हुए कहा था कि अमेरिका ने ताइवान पर अपनी नीति नहीं बदली है और वो ताइवान में शांति और स्थिरता को कम करने की एकतरफा कोशिशों का कड़ा विरोध करता है।

ये बहुत संवेदनशील मुद्दा है और खतरनाक साबित हो सकता है।सचीनी विदेश मंत्रालय का कहना है कि अगर अमेरिका गलत रास्ते पर खड़ा रहता है तो फिर हम अपनी संप्रभुता और सुरक्षा को बनाए रखने के लिए कड़े कदम उठाएंगे। उसने धमकाते हुए कहा कि इसके जवाब में चीन वही करेगा जो एक आजाद मुल्क को करने का अधिकार होता है।
वहीं चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियान ने मीडिया से बात करते हुए कहा था, ‘हम एक बार फिर अमेरिका को साफ कर देना चाहते हैं, कि चीन किसी भी घटना से निपटने के लिए पूरी तरह तैयार है और चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी चुप नहीं बैठेगी।
दोनों के बीच अनबन की शुरुआत
आपको बता दें चीन ताइवान को अपना प्रांत मानता है। जबकि ताइवान खुद को आजाद देश मानता है। दोनों के बीच अनबन की शुरुआत दूसरे विश्व युद्ध के बाद से हुई। उस समय चीन के मेनलैंड में चीनी कम्युनिस्ट पार्टी और कुओमितांग के बीच जंग चल रही थी।

ताइवान चीन के दक्षिण पूर्व तट से करीब 100 मील दूर एक आइसलैंड है. चीन और ताइवान, दोनों ही एक-दूसरे को मान्यता नहीं देते. अभी दुनिया के केवल 13 देश ही ताइवान को एक अलग संप्रभु और आजाद देश मानते हैं.
1940 में माओ त्से तुंग के नेतृत्व में कम्युनिस्टों ने कुओमितांग पार्टी को हरा दिया। हार के बाद कुओमितांग के लोग ताइवान आ गए। उसी साल चीन का नाम ‘पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना’ और ताइवान का ‘रिपब्लिक ऑफ चाइना’ पड़ा।
ये भी पढ़े-पूरे लाव लश्कर के साथ ताइवान पहुंचीं नैंसी पेलोसी, चीन ने 21 एयरक्राफ्ट उड़ाकर दी ये चेतावनी..