Mirzapur News: अब विंध्य क्षेत्र जल्द ही ऑक्सीजन हब बनेगा। यह संभव होगा हरिशंकरी वृक्षों से। ऑक्सीजन के रूप में पहचान रखने वाले हरिशंकरी पेड़ों को पर्याप्त जगह दी जा रही है। वन विभाग जनपद के 75 स्थानों पर एक साथ बरगद, पीपल व पाकड़ के पौधे रोपेगा। अभी तक ये पौधे अलग-अलग ही लगाए जाते थे, अब हरिशंकरी पौधे पर्यावरण के रक्षक बनेंगे।
पहले हरिशंकरी के वृक्ष कम लगते थे, लेकिन समय ने इसका महत्व बढ़ा दिया है। आजादी की 75वीं वर्षगांठ अमृत महोत्सव पर 15 अगस्त तक हरिशंकरी सप्ताह के अंतर्गत हरिशंकरी पौधे रोपे जाएंगे। हर जगह पीपल, बरगद और पाकड़ के पौधे इस तरह लगाए जाएंगे, जो बाद में आपस में मिलकर एक हो सकें। हरिशंकरी सप्ताह से समाज के सभी वर्ग को जोड़ा जा रहा है.
जिससे पौधों को सुरक्षा भी मिल सके। पीपल, पाकड़ और बरगद के पौध से तैयार होने वाले हरिशंकरी पौधों को अलग-अलग क्षेत्रों में लगाया जाना है। इसे लगाने का तरीका भी अलग है और बाद में तीनों एक-दूसरे से जुड़ जाएंगे।
पीपल, बरगद और पाकड़ के पौधों को एक मीटर के बड़े भाग में एक से डेढ़ फीट की दूरी पर त्रिकोण में बने तीन छोटे थाल (जहां पानी रोका जा सके) में लगाया जाएगा। बड़ा होने पर तीनों पौधों के तने मिलकर एक ताना बनकर सघन छायादार वृक्ष बन जाएंगे, जो हरिशंकरी कहलाते हैं।
प्रभागीय वनाधिकारी पीएस त्रिपाठी ने बताया कि पंद्रह अगस्त तक चलने वाले हरिशंकरी पौधों को रोपने का अभियान सोमवार से आरम्भ हो गया है। आठ अगस्त को अष्टभुजा के विभिन्न आश्रमों में कुल 12 हरीशंकरी पौधे लगाए गए। नौ अगस्त को पटेहरा रेंज में रोपण किया गया। 10 को लालगंज, 11 ड्रमंडगंज, 12 मड़िहान, 13 सुकृत, 14 चुनार व 15 अगस्त को विंढमफाल में पौधरोपण कर हरिशंकरी सप्ताह का समापन किया जाएगा।
आजादी के शताब्दी कार्यक्रम से जुड़ेंगे हरिशंकरी वृक्ष
प्रभागीय वनाधिकारी पीएस त्रिपाठी ने बताया कि हरिशंकरी पौधे लगाने के लिए आश्रम, मंदिर, स्कूल, प्रतिष्ठान, गौ-आश्रय स्थल चिन्हित किए गए हैं। इन स्थानों को चिन्हित करने का उद्देश्य है कि हरिशंकरी पौधे यहां सुरक्षित रहेंगे और यह स्थल धार्मिक मान्यता रखने वाले पौधों से लहराता दिखेगा। सरकार की मंशा है कि जब हम आजादी का शताब्दी वर्ष मनाएंगे, तब तक हरिशंकरी पेड़ 25 वर्ष के हो जाएंगे। आजादी के शताब्दी पर होने वाले कार्यक्रम से हरिशंकरी वृक्षों को जोड़ा जाएगा।
इसलिए खास है हरिशंकरी
पीपल सर्वाधिक ऑक्सीजन देने वाला, बरगद जैव विविधता को आश्रय देने वाला और पाकड़ सर्वाधिक शीतल छाया देने वाला वृक्ष है।
धार्मिक मान्यता
हिंदू मान्यता के अनुसार, पीपल को विष्णु, बरगद को शंकर और पाकड़ को ब्रह्मा का स्वरूप माना जाता है। मत्स्य पुराण के अनुसार, पार्वतीजी के श्रापवश विष्णु पीपल, शंकर बरगद और ब्रह्मा पाकड़ बन गए थे। पौराणिक मान्यता में पाकड़ वनस्पति जगत का अधिपति व नायक है और याज्ञिक कार्यों के लिए श्रेष्ठ छायादार वृक्ष माना जाता है।