शादी: एक मिडिल क्लास परिवार के लिए आसान नहीं है एक लड़की की शादी करना। इसलिए आज भी वो लोग अपनी बेटी को कही न कही बोझ समझते है। यहाँ तक जब भी कोई औरत माँ बनती है। तो सब उसे लड़का होने की ही दुआ देते है। पर ऐसा क्यों ? क्योकि जब भी किसी मिडिल क्लास परिवार में लड़की पैदा होती है तो माँ बाप को इस बात का डर होता है कि वो अपनी बेटी के हाथ पीले कैसे करेंगे। एक लड़की की शादी करना बिलकुल भी आसान काम नहीं है माना कोई भी माँ -बाप अपनी बेटी से बेहद प्यार करते है पर कही न कही वो इस परेशानी में होते है कि कैसे क्या होगा। अरे भई माँ बाप की ये चिंता बिलकुल जायज़ है। आप देख ही रहे होंगे दहेज़ प्रथा दिन पे दिन कितनी बढ़ती जा रही है। बिना किसी लेन देन के तो आजकल रिश्ते आगे तक नहीं बढ़ते। आज की बात नहीं है ये दहेज़ प्रथा तो सालो से चलती आ रही है।
सामान देना जरूरी तो नहीं
माना काफी बार ऐसा होता है कि लड़के वाले बोलते है हम दहेज़ नहीं लेंगे पर आप जो अपनी बेटी को देना चाहे दे सकते है। और फिर लड़की वाले कुछ नहीं देते तो लड़के वाले ,लड़की वालो को ताने देते है। मेरा तो यह भी मानना है कि शादी बियाह में जो ये सामान दिया जाता हैं वो भी गलत हैं.माना काफी बार ऐसा होता है कि लड़के वाले बोलते है हम दहेज़ नहीं लेंगे पर आप जो अपनी बेटी को देना चाहे दे सकते है। और फिर लड़की वाले कुछ नहीं देते तो लड़के वाले ,लड़की वालो को ताने देते है। मेरा तो यह भी मानना है कि शादी बियाह में जो ये सामान दिया जाता है वो भी गलत है। जैसे की बेड ,अलमारी,सोफे,वाशिंग मशीन और फ्रीज़ आदि। क्या ये सामान देने से पहले लड़के वाले बेड पर नहीं सोते थे ? क्या फ्रीज़ का ठंडा पानी नहीं पीते थे ? ये सारा सामान बहुत महंगा होता है। एक मिडिल क्लास परिवार खुद के लिए कभी भी ये समान नहीं खरीदते तो अपनी लड़की को कैसे दे दे। पर फिर भी कैसे न कैसे माँ बाप इसका भी इंतज़ाम कर ही लेते है। क्या ऐसा कुछ नहीं हो सकता की लड़की की शादी भी हो जाये और माँ बाप को चिंता भी न सताए।

लड़की को माँ बाप पर बोझ न समझा जाये
मेरे पास एक सुझाव है माना सरकार देश की हर लड़की की शादी के लिए पैसे नहीं दे सकती। पर एक क़ानून तो लागु कर सकती है जैसे की गांव के सरपंच को ये जिम्मेदारी देना की वो गांव में जितने भी घर है उन सभी घर से पैसे इकठ्टे करे और लड़की के परिवार को दे दे। ताकि किसी भी परिवार पर ज्यादा पैसे का बोझ न पड़े और लड़की की शादी हो जाये। जैसे गांव में अगर 500 घर है और इन घरो से 1000-1000 रूपये भी मिले तो 5 लाख हो जाते है और ये रूपये अगर एक परिवार को मिल जाये तो उनकी बेटी की शादी आराम से हो सकती है। अगर एक घर कुछ पैसे दे देता है तो उन पर कुछ असर नहीं पड़ेगा पर उन पैसे से किसी का घर बस सकता है। और शायद फिर किसी लड़की को कभी माँ बाप पर बोझ न समझा जाये।
आप ये कदम बढ़ा सकते है
और अगर सरकार ऐसा कुछ नहीं कर सकती तो आप सब भी ये कदम बढ़ा सकते है। इस लेख के जरिये मैं अपनी ये बात लोगो तक पहुंचाना चाहती हूँ ताकि वो लोग किसी गरीब परिवार की मदद कर सके। और हाँ ये एक आर्टिकल या न्यूज़ नहीं बल्कि NEWS1INDIA की तरफ से एक नई शुरुआत का पहला कदम है ,ताकि लोग एक दूसरे की मदद कर सके। और कभी भी माँ -बाप को अपनी बेटी की शादी की चिंता न सताए। और लडकियो को कभी भी बोझ न समझा जाये। तो दोस्तों कैसा लगा आपको मेरा ये सुझाव और अगर आपके मन में भी कोई सुझाव है तो हमे कमैंट्स में बताये।
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