मंदिर,पाठ पूजा,संस्कृति और रीति रिवाज तो हमारे देश की शान हैं। ये सब ही तो हमारे देश भारत को अलग बनाते हैं। हमारे देश भारत में अनेको मंदिर हैं। और इन मंदिरो की अपनी मान्यताए और कहानी हैं। सभी मंदिर में अलग-अलग तरीको से पूजा पाठ होता हैं। आज हम ऐसे ही एक मंदिर की बात करने जा रहे हैं.जिसमे होती हैं बिलकुल विचित्र पूजा।
हर मुराद पूरी
तो चलिए अब जानते हैं इस खास मंदिर के बारे में।ये मंदिर शिव और सती के प्रेम का प्रतीक है. यह देवीपाटन मंदिर अत्यंत प्राचीन और प्रसिद्ध शक्तिपीठ है.ये मंदिर उत्तर प्रदेश के बलरामपुर जिले के तुलसीपुर में स्थित है .बताया जाता है मंदिर के निर्माण के वक्त से यहां धूना जल रहा है.यहाँ तक बताया जाता हैं। कि इस मंदिर में जो कोई भी श्रद्धालु सच्चे मन से मुराद मांगता है तो मां उसकी हर मुराद पूरी करती हैं. यहां की पूजा बड़ी ही विचित्र व गुप्त होती है. यहां नवरात्रों में बड़ी दूर-दूर से लाखों श्रद्धालु आते हैं और दर्शन करते हैं. यहां चैत्र नवरात्रि में पंचमी के दिन से नाथ संप्रदाय के पुजारी नेपाल से आकर मां की पूजा संभालते हैं और दशमी तक पूजा वही करते हैं.यहां साल के दोनों नवरात्रों में बड़ा मेला लगता है।हर मंदिर के पीछे कोई न कोई कहानी जरूर होती है। इस मंदिर की भी एक कथा हैं।
माता के शव के 51 टुकड़े
ग्रंथों के अनुसार पिता प्रजापति दक्ष के यज्ञ में पति शिव का स्थान न देख कर उनके अपमान से नाराज जगदम्बा सती ने यज्ञ में कूद कर अपने प्राणों की आहूति दे दी. इससे महादेव शिव ने क्रोधित होकर राजा दक्ष के यज्ञ को नष्ट ही कर दिया और शिव जी ने सती के शव को कंधे पर रखकर घूमना शुरू कर दिया. इससे ब्रह्माण्ड में उथल पुथल मच गया और संसार चक्र में व्यवधान उत्पन्न हो गया. तब देवी देवता भगवान विष्णु के पास गए. भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से सती के शव को काट कर पृथ्वी पर गिरा दिया. माता के शव के 51 टुकड़े भारत के विभिन्न स्थानों पर गिरे और जहां-जहां ये गिरे वहां-वहां आज शक्तिपीठ स्थापित हैं।
सीता मां धरती में समायी
इसके अलावा यहाँ एक सुरंग भी हैं.जिसकी कथा यह हैं कि जब भगवान राम ने सीता जी से लंका विजय के बाद पुनः अग्नि परीक्षा देने की बात कही तो सीता जी को अपमान महसूस हुआ और वो धरती में समां गयी. तब पृथ्वी फट गयी और धरती मां एक सिंहासन पर बैठ कर निकली और सीता मां को अपनी गोद में बिठा कर पाताल में ले गयी. यही वह स्थान है जहां सीता मां धरती में समायी थीं और यहां सुरंग बन गया था जो पाताल लोक जाता है.ये थी इस मंदिर की कुछ मान्यताए।
इस मंदिर में बहुत ही विचित्र पूजा होती हैं।
यहां मन्नत के अनुसार लोग मुंडन संस्कार भी धूम-धाम से करते हैं. यहां कई दिनों की पूजा और मन्नत पूरा होने पर खाना बना कर मंदिर के बाहर प्रांगण में रहते हैं और अलसुबह कुण्ड में नहा कर देवी मां की पूजा करते हैं. मंदिर सुबह से शाम 4 बजे तक खुला रहता है. फिर मंदिर के मुख्य पुजारी एक विचित्र सी पूजा के दौरान मुख्य मंदिर के चारो तरफ घूम कर मंदिर के अंदर जाकर द्वार बंद करते हैं और 3 घंटे बाद फिर शाम को 7 बजे गेट खोल कर बहार आते हैं. तब तक वह अंदर गुप्त पूजा करते हैं फिर मंदिर दर्शन के लिए खुल जाता है.तो आप कब जा रहे हैं इस गुप्त पूजा का हिस्सा बनने ?
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