नई दिल्लीः राजधानी के बुध विहार थाने में तैनात असिस्टेंट सब इंस्पेक्टर ज्योति देवी ‘नारी तू नारायणी’ के वाक्य को जीवंत कर यह साबित कर दिया कि एक महिला ही है. जो अपनी सामाजिक और घरेलू जिम्मेदारियों के साथ-साथ नौकरी की जिम्मेदारी निभाते हुए ऐसे काम कर सकता है,
जिससे एक या दो नहीं बल्कि कई परिवारों को उनकी खोई हुई मुस्कान वापस मिल जाए. ज्योति देवी ने लापता बच्चों की तलाश करने का यह सफर शुरू किया. प्रमोशन पाने को लेकर, जैसे-जैसे बच्चों को तलाश करती गई, यह कारवां बढ़ता गया और आखिरकार यह जुनून इतना बढ़ गया.
उन्होंने इसे एक जिम्मेदारी के रूप में अपनाया और अब ये एक से बढ़कर 155 हो गई है. बच्चों को उनके परिवार से मिलाने वाली ज्योति देवी को इस सफर में कई मुश्किलों का सामना करना पड़ा. लेकिन उन्होंने उन समस्याओं को अपनी कमजोरी नहीं बनने दिया बल्कि उनसे निपटने का फैसला किया.
समस्याओं को अपनी कमजोरी नहीं बनने दिया
आखिरकार एक मुकाम को हासिल कर 155 लापता बच्चों को उनके परिवार तक पहुंचाया. जिन परिवारों ने अपने बच्चों को पाने की उम्मीद खो दी थी, जिन्होंने यह मान लिया था कि अब उनका बच्चा कभी उनके पास वापस नहीं आ पाएगा, लेकिन उन्होंने इस हार को उम्मीद में बदल दिया और फिर जीत वास्तव में प्रेरणादायक है.
मुकाम को हासिल कर बच्चों को परिवार से मिलवाया
उन्होंने कुछ साल पहले ऐसी ही एक महिला पुलिसकर्मी सीमा ढाका से प्रेरणा ली और बच्चों का पता लगाने की जिम्मेदारी ली थी. एएसआई ज्योति के इस काम से सिर्फ महिलाएं ही नहीं बल्कि सभी को सीख लेनी चाहिए कि मन में संकल्प होने पर कोई भी काम अधूरा नहीं रहता.
155 लापता बच्चों को उनके परिवार तक पहुंचाया
पुलिसकर्मियों के अपने काम के प्रति समर्पित रहने से आज आम जनता का पुलिस के प्रति नजरिया पूरी तरह बदल गया है. उनके परिवार के सदस्य न केवल उन्हें इस काम में हौसला बढ़ता हैं, बल्कि उन्हें ज्योति पर भी गर्व है. साथ ही उन 155 लापता बच्चों को उनके परिवार तक पहुंचाया.
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