केरल उच्च न्यायालय ने मंगलवार को राज्यपाल के विश्वविद्यालय के कुलाधिपति आरिफ मोहम्मद खान को अदालत में मामले की सुनवाई होने तक उन कुलुतियों के खिलाफ कोई भी कार्रवाई नहीं करने का आदेश दिया है, जिन्हें उन्होंने कारण बताओं नोटिस भेजा था। बता दें कि न्यायमूर्ति देवन रामचंद्रन ने कुलाधिपती को अपना जवाब दाखिल करने के लिए तीन दिन का समय दिया और मामले की आगे की सुनवाई के लिए 17 नवंबर की तारीख तय कि। खान ने विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति के रूप में राज्य के 11 विश्वविद्यालयों के कुलपतियों को कारण बताओ नोटिस जारी किया था।
उच्च न्यायालय ने तीन नवंबर को खान द्वारा भेजे गए कारण बताओ नोटिस का जवाब देने के लिए कुलपतियों का समय सात नवंबर तक बढ़ा दिया था। नोटिस में कुलपियों से यह जानने की कोशिश की गई थी कि उन्हें अपने पदों पर बने रहने की अनुमति क्यों दी जानी चाहिए, क्योंकि उनकी नियुक्ति सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसले के अनुसार अवैध थी।
शीर्ष अदालत ने 21 अकटूबर को एपीजे अब्दुल कलाम प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय की कुलपति की नियुक्ति को यह कहते हुए रद्द कर दिया था कि विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के अनुसार राज्य द्वारा गठित तलाश समिति को कुलपति पद के लिए अभियांत्रिकी विज्ञान क्षेत्र के प्रतिष्ठित लोगों के बीच से कम से कम तीन उपयुक्त व्याक्तियों के एक पैनल की सिफारिश करनी चाहिए थी, लेकिन इसके बजाय उसने केवल एक ही नाम भेजा। उस आदेश के आधार पर राज्यपाल ने कुलपतियों के इस्तीफे मांगे थे, जिनके नाम केवल नियुक्ति के लिए अनुशंसित थे। इनमें वे कुलपति भी शामिल थे जिन्हें एक समिति द्वारा चुना गया था, जिसमें राज्य के मुख्य सचिव सदस्य थे। खान ने इस यूजीसी के नियमो का उल्लंघन बताया था।