आम लोगों पर एक बार फिर महंगाई की मार पड़ी है। दो दिनों से चल रही मौद्रिक नीति की बैठक ने एक बार फिर रेपो रेट बढ़ाने का फैसला ले लिया गया। RBI गवर्नर शक्तिकांत दास ने रेपो दर को 25 आधार अंकों से बढ़ाकर 6.5% करने की घोषणा की। बता दें इससे पहले हुई सभी 5 बैठकों में भी रेटो रेट में बढ़ोतरी हुई थी। दरअसल केंद्र सरकार ने आरबीआई को महंगाई को छह प्रतिशत के स्तर पर रखने की जिम्मेदारी सौंपी है। जनवरी, 2022 से तीन तिमाहियों तक लगातार महंगाई दर छह प्रतिशत से ऊपर बनी रही। नवंबर-दिसंबर 2022 में कुछ राहत मिली थी।
लगातार छठी बार बढ़ाया Repo Rate
- मई – 0.4 %
- 8 जून – 0.5 %
- 5 अगस्त – 0.5 %
- 30 सितंबर – 0.5 %
- 7 दिसंबर – 0.35 %
- फरवरी- 6.5%
महंगाई पर काबू पाने की कोशिश
देश में बढ़ती महंगाई के चलते कई बार लोगों को जरूरत की चीजें खरीदने तक के भी पैसे नहीं होते। इस वजह से रिजर्व बैंक रेपो रेट में बढ़ोतरी कर महंगाई पर काबू पाने की कोशिश करता है। जनता पर ज्यादा बोझ नहीं पड़े इसका भी काफी ध्यान रखा जाता है। इस कड़ी में आमतौर पर 0.50 या इससे कम की बढ़ोतरी की जाती है। कोविड महामारी के दौरान इसमें सबसे ज्यादा 4 फीसदी तक बढ़ोतरी हुई थी। इसी वजह से होम, कार और पर्सनल लोन की ब्याज दरें भी बढ़ जाती है।
लोगों को EMI भरने में दी जाती है रियायत
रेपो रेट में बढ़ोतरी की वजह से लोन लेने वाले लोगों को ईएमआई देने में परेशानी उठानी पड़ती है। क्योंकि इससे ब्याज दरें बढ़ जाती है। बैंक लोगों को ध्यान में रखते हुए ही इसकी दरें बढ़ाता हैं। जो लोग किसी वजह से ईएमआई नहीं दे पाते हैं उन्हें कुछ महीने के लिए रियायत दी जाती है। कोविड के समय में लॉकडाउन लग गया था, जिसे आमदनी नहीं होने के कारण कई लोगों को ईएमआई भरने में रियायत दी गई थी।