Uttarakhand News: उत्तराखंडी एक पहाड़ी प्रदेश है, लगभग 70% भू भाग वनाच्छादित है। ऐसे में प्रदेश में गर्मियों के चलते जंगलों में आग लगने की आशंका आए दिन बनी रहती है, बीते कई वर्षों का इतिहास अगर उठाकर देखें तो उत्तराखंड के जंगल धू–धू कर खूब जले हैं। हालांकि वन विभाग जंगलों में लगने वाली आग को लेकर मुस्तैद जरूर दिखाई देता है लेकिन इतने बड़े भूभाग में जंगलों का होना एक परेशानी का सबब जरूर बन जाता है।
वन विभाग के मुताबिक बीते सालों में भी कई हेक्टेयर जंगल जलकर खाक हुए हैं हालांकि विभाग की तरफ से कहा गया कि इस वर्ष हमने जंगलों में लगने वाली आग को लेकर पहले ही अपनी तैयारियां पुख्ता कर ली है और ग्राम प्रधानों के साथ-साथ क्षेत्रीय जनता को भी अपने साथ जोड़ने का प्रयास किया है। ताकि आग लगने की घटना को गंभीरता से लेकर विभाग को तत्काल सूचित किया जाए जिससे मौके पर आग पर काबू पाया जा सके।
आग लगने के मुख्य कारण
बन विभाग आईएफएस निशांत वर्मा के मुताबिक आग लगने के अनेकों कारण है निशांत वर्मा ने कहा कि जब पहाड़ी क्षेत्रों में आम जनमानस अपने खेतों में घास फूस इत्यादि को जलाने के लिए आग लगाते हैं तो यह आग हवा के माध्यम से फैलना शुरू हो जाती है। जिससे आग जंगलों तक पहुंच जाती है साथ ही बिजली के तारों का शॉर्ट सर्किट होना भी एक मुख्य कारण बताया है। हालांकि अराजक तत्वों द्वारा भी आग लगाने की खबर मिलती रहती है जिस पर तत्काल संज्ञान भी विभाग द्वारा लिया जाता है।
गर्मियों के समय जंगलों में लगने वाली आग को लेकर विभाग की मुश्किलें लगातार बढ़ती रहती है। जिसको लेकर निशांत वर्मा ने कहा कि फरवरी माह में हमने सुरक्षा सप्ताह मनाया था। उसमें हमने वन पंचायत,महिला मंगल दल ,युवा मंगल दल को प्रशिक्षित भी किया है और कहा गया है कि अपने क्षेत्रों में लगने वाली आग को बुझाने के लिए अपना पूरा सहयोग दे और हमे तत्काल सूचना प्रदान करें। इसलिए इस बार हम इंसेंटिव बेस स्कीम लाए हैं जिसमें हम उन सक्रिय पंचायतों को कुछ ना कुछ राशि भी देंगे,ताकि उनका सहयोग हमें मिलता रहे।