राहुल गांधी लोकसभा सदस्यता छिन जाने के बाद अब वायनाड सीट खाली हो गई है। इस सीट पर कौन उपचुनाव कौन लड़ेगा ये अभी तय नहीं। राहुल गांधी अगले 8 साल तक चुनाव लड़ पाएंगे, इसके बारे में भी अभी कुछ कहा नहीं जा सकता। अमेठी से कौन मैदान में उतरेगा इसके बारे में कहना भी कठिन है। इन सब आशंकाओं के बीच कांग्रेस में भारी उथल-पुथल मची हुई है। मिली जानकारी के अनुसार शुक्रवार 24 मार्च की शाम हुई मीटिंग में सोनिया गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा ने ही पूरी सिचुएशन संभालने की जिम्मेदारी अपने कंधों पर ली है।
राहुल के बाद अब बागडोर संभालेंगी प्रियंका…
बता दें कि शुक्रवार दोपहर जैसे ही पता चला कि राहुल अब सांसद नहीं रहे, तो सोनिया गांधी और प्रियंका उनके घर पहुंचीं। जहां नई रणनीति बनाई गई कि केस कैसे लड़ा जाए और कैसे जनता के बीच जाया जाए।
वहीं जानकारी के मुताबिक आपको बता दें कि वायनाड से प्रियंका गांधी के उपचुनाव लड़ने पर चर्चा हुई। हालांकि केस की स्थिति के अनुसार फैसला लिया जाएगा, लेकिन अगर राहुल नहीं तो प्रियंका ही होंगी। वहीं दूसरा, सोनिया गांधी जनता के बीच फिर से एक्टिव हो सकती हैं। वह इसे इमोशनल मुद्दा बनाने में मदद करेंगी। प्रियंका गांधी इसकी शुरुआत शुक्रवार को एक ट्वीट्स के जरिए कर चुकी हैं।
कानूनी लड़ाई कांग्रेस की लीगल टीम लड़ेगी
वहीं राहुल का केस कानूनी पेचीदगियों से भरा हुआ है। इस बीच पार्टी लीडरशिप ने फैसला लिया है कि कानूनी लड़ाई कांग्रेस की लीगल टीम ही देखेगी। यानी हाईकोर्ट में सजा, सूरत सेशन कोर्ट के फैसले के खिलाफ अपील और सुप्रीम कोर्ट में सदस्यता रद्द करने के मुद्दे पर पार्टी की लीगल टीम टीम ही काम करेगी।
इस दौरान राहुल गांधी पीछे नहीं हटेंगे, बल्कि जनता के बीच असली लड़ाई उनके नेतृत्व में ही लड़ी जाएगी। 24 मार्च को हुई बैठक में सोनिया गांधी, प्रियंका और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे सहित तमाम बड़े नेता इस पर एकमत रहे। वहीं राहुल खुद इस बैठक से दूर रहे। इसके पीछे भी एक सोची-समझी रणनीति ही थी।
सदस्यता जाने के मुद्दे से दूर राहुल फिर करेंगे अडानी… अडानी
जानकारी के मुताबिक राहुल संसद सदस्यता जाने के मुद्दे पर पार्टी की गतिविधि से खुद को दूर रखना चाहते हैं। वह सिर्फ अडाणी के मुद्दे पर फोकस बनाए रखना चाहते हैं। ये बात 25 मार्च को हुई प्रेस कॉन्फ्रेंस में भी राहुल गांधी ने साफ कर दी थी।