पहलवानों के धरना प्रदर्शन को अब लगभग पांच महीने होने को हैं, कभी जंतर मंतर तो कभी इंडिया गेट और अब संसद भवन के चक्कर काट रहे हैं। न्याय की गुहार लगाते हुए देश की बेटियों को आज दरबदर घूमना पड़ रहा हे, विनेश फोगाट, बजरंग पुनिया और साक्षी मलिक जेसे बड़े रेसर्लस जिन्होंने भारत का नाम विश्व भर में रोशन किया अब वे हर दिन अपनी मांग रखने के लिए कड़ी धूप में, पांव पे छाले लिए खड़े हैं।
वहीं दूसरी ओर कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष बृज भूषण शरण सिंह ठोस रूप से अपनी बात रखते नज़र आ रहे हैं। उनका साफ कहना हैं कि उन पर झूठे आरोप लगाए जा रहे हैं और वह हर तरह की जांच के लिए तैयार हैं। बता दे जब उन्हें नार्को टेस्ट के लिए कहा गया तब इस पर उन्होने एक शर्त रखी की, उनके साथ बाकी के पहलवान भी टेस्ट करवायें। जिस पर पहलवान राज़ी भी हो गए। इन सब के बीच बृज भूषण ने और एक बड़ा बयान देते हुए कहा ‘विनेश मेरे जीवन में रामायण की मंथरा के समान हैं ‘।
इस दंगल के कितने ठिकाने ?
पहले 21 अप्रैल 2023 को जंतर-मंतर पर पहलवान भारतीय कुश्ती संघ के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ मोर्चा निकालते हैं। इस मोर्चा में बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ यौन उत्पीड़न के मामले में FIR दर्ज करने की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका भी दी जाती हैं। इस मामले में 29 अप्रैल को सुनवाई हुई, जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने विरोध करने वाले पहलवानों द्वारा दायर मुकदमे को बंद करने का फैसला सुनाया। लेकिन पहलवानों ने इसे अंत मानने से इनकार कर दिया और जोर देकर कहा कि विरोध जारी रहेगा।
इंडिया गेट से संसद भवन तक
एक महीने के शंतिर्पूण धरना प्रदर्शन के बाद पहलवान ने उनके आंदोलन के पूरे एक महीने को चिह्नित करने के लिए, इंडिया गेट की ओर कैंडल र्माच करते हुए कदम बढ़ाया। हालांकि, 28 मई को पुलिस ने उन्हें जंतर मंतर से बेदखल कर दिया, जब उन्होंने नए संसद भवन तक मार्च करने की कोशिश की और उनके विरोध स्थल पर नियंत्रण कर लिया था। बता दे कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा नए संसद भवन का उद्घाटन किया जा रहा था।
देखते ही देखते पहलवानों का विरोध हरिद्वार तक चला गया क्योंकि उन्होंने हरिद्वार की पवित्र गंगा नदी में कड़ी मेहनत से देश के लिए जीते पदकों को विसर्जित करने का फैसला किया। पहलवान साक्षी मलिक, विनेश फोगट और बजरंग पुनिया को विरोध प्रदर्शन के दौरान विभाजित होते देखा गया। कांग्रेस सांसद शशि थरूर पहलवानों के समर्थन में सामने आए और टिप्पणी की कि सरकार को कम से कम याचिका सुनना चाहिए।दूसरी ओर गंगा सभा ने गंगा में पदकों के विसर्जन के लिए सख्त मना कर दिया । और दिल्ली पुलिस ने भी प्रदर्शनकारियों से उनके विरोध के लिए लिखित आवेदन देने को कहा हैं जिसके बाद ही वे पहलवानों के विरोध के लिए एक समर्पित स्थान आवंटित करेंगे। इस पर बृज भूषण ने कहा कि ‘मेडलस फेंक कर न्याय नहीं मिलता हैं, अगर मैं गलत पाया गया तो मुझे अरेस्ट कर सकते हैं’।
राजनेताओं ने क्या कहा ?
बजरंग पुनिया ने कहाः इस बार हमारे विरोध में शामिल होने के लिए सभी दलों का स्वागत है, हमने इसे राजनीतिक मुद्दा न बनाने की अपनी पिछली गलतियों से सीख लिया है। बता दे की कई राजनीतिक दलों और प्रसिद्ध हस्तियों ने पुनिया के इस बयान के पहले ही पहलवानों को अपना समर्थन दे दिया था। इस कड़ी में आम आदमी पार्टी की वरिष्ठ नेता और राष्ट्रीय प्रवक्ता रीना गुप्ता ने 26 अप्रैल को जंतर मंतर पर पहलवानों से मुलाकात की, जीसके बाद अगले दिन यानी 27 अप्रैल को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के ज़रिए कहा “भारत को गौरव दिलाने वाले खिलाड़ी आज धरने पर बैठे हैं। ओलिंपिक में मेडल जीतने पर पीएम मोदी ने उन्हें अपने घर बुलाया, अब कहां हैं? जब उनकी पार्टी के सांसद पर सवाल उठ रहे हैं।“
कांग्रेस से हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपिंदर सिंह हुडा 25 अप्रैल को पहलवानों से मिले और अपना समर्थन दिया। साथ ही प्रियंका गांधी वडरा ने ट्विट कर कहा “खिलाड़ी देश का मान होते हैं। तमाम मुश्किलों के बावजूद बेहद मेहनत और सालो परिश्रम कर जब वे पदक जीतते हैं, तो उनकी जीत से ही हमारी जीत होती है। महिला खिलाड़ियों की जीत हमारे लिए शान की बात हैं। आज वही शान देश की संसद की सड़क पर आँखों में आँसू लिए बैठी हैं।’