Lok Sabha Election 2024: आगामी 2024 लोकसभा चुनाव को लेकर अटकलें अभी से शुरू हो गई हैं। पश्चिमी उत्तर प्रदेश की बात करें तो हर बार की तरह इस बार भी मुकाबला दिलचस्प होने की उम्मीद है। उत्तर प्रदेश की 17 आरक्षित लोकसभा सीटों (Lok Sabha Election 2024) में से नगीना लोकसभा क्षेत्र सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है। यह राज्य की नई लोकसभा सीटों में से एक है।
नगीना किसी विशेष पार्टी का गढ़ नही
पहले नगीना बिजनौर के अंतर्गत आता था, लेकिन 2009 के लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Election 2024) में इसे अलग कर दिया गया। इस सीट पर अब तक तीन बार लोकसभा चुनाव हो चुके हैं। यह कभी किसी पार्टी विशेष का गढ़ नहीं रहा। यहां हुए तीनों चुनावों में हर बार अलग-अलग पार्टियों के उम्मीदवार जीतकर सांसद बने हैं।
कहा जा सकता है कि यहां के मतदाताओं ने हमेशा नये उम्मीदवारों को मौका दिया है। पहले यहां सपा, उसके बाद अगले चुनाव में बीजेपी और तीसरे चुनाव में बीएसपी का सांसद चुना जा चुका है। एक बार फिर 2024 के लोकसभा चुनाव नजदीक आने के बाद सबकी नजर इस बात पर है कि नगीना की जनता सपा, बीजेपी और बीएसपी को मौका देने के बाद किसे अपना सांसद चुनेगी।
नगीना का जातीय समीकरण
नगीना लोकसभा सीट (Lok Sabha Election 2024) आधिकारिक तौर पर अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है, यहां मुसलमानों की आबादी सबसे ज्यादा है। यहां लगभग 21% मतदाता अनुसूचित जाति के हैं। नगीना लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले विधानसभा क्षेत्रों की बात करें तो मुस्लिम आबादी 50% से अधिक है। पिछले चुनावों के आंकड़ों पर नजर डालें तो यहां लगभग 1,493,411 मतदाता हैं, जिनमें 795,554 पुरुष और 697,857 महिला मतदाता शामिल हैं।
लोकसभा चुनाव 2024 के उम्मीदवार
उत्तर प्रदेश में नगीना लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र एक राजनीतिक महाशक्ति है जो भारतीय राजनीति पर अपने महत्वपूर्ण प्रभाव के लिए प्रसिद्ध है। यह एक विविध जनसांख्यिकीय का प्रतिनिधित्व करता है और उत्तर प्रदेश में एक महत्वपूर्ण चुनावी युद्धक्षेत्र बन गया है। अब, जैसे-जैसे हम 2024 के करीब पहुंच रहे हैं, मतदाता अपने वोटों की ताकत दिखाने के लिए और भी अधिक उत्सुक हैं।
नगीना लोकसभा क्षेत्र में 2024 के चुनाव के लिए उम्मीदवारों की सूची में प्रमुख दावेदारों में बहुजन समाज पार्टी से सुरेंद्र पाल सिंह, भारतीय जनता पार्टी से ओम कुमार और समाजवादी पार्टी से मनोज कुमार शामिल हैं।
2019 मे बसपा के हाथ लगी सत्ता
पिछले लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Election 2019) यानी 2019 के आम चुनाव में इस सीट पर कुल 1,586,117 मतदाता थे। उस चुनाव में बसपा प्रत्याशी गिरीश चंद्र 568378 वोट हासिल कर विजयी रहे थे। गिरीश चंद्र को निर्वाचन क्षेत्र में मौजूद कुल मतदाताओं में से 35.83% का समर्थन मिला, जबकि उन्हें इस सीट पर 56.29% वोट मिले।
2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान, बीजेपी उम्मीदवार डॉ. यशवंत सिंह इस सीट पर 401,546 वोट पाकर दूसरे स्थान पर रहे, जो कुल मतदाताओं के बीच 25.32% समर्थन था, और उन्हें कुल वोटों का 39.77% वोट मिले। 2019 के आम चुनाव में इस सीट पर जीत का अंतर 166832 वोटों का था।
2014 में चली थी ‘मोदी लहर’
2014 के आम चुनाव में नगीना लोकसभा सीट के लिए 1,493,419 मतदाता पंजीकृत थे। उस चुनाव के दौरान बीजेपी उम्मीदवार यशवंत सिंह ने कुल 367,825 वोटों से जीत हासिल की थी। उन्हें संसदीय क्षेत्र के कुल मतदाताओं में से 24.63% का समर्थन प्राप्त हुआ, और उन्हें उस चुनाव में 39.02% वोट मिले।
दूसरी ओर, दूसरे स्थान पर सपा उम्मीदवार यशवीर सिंह रहे, जिन्होंने 275,435 मतदाताओं का समर्थन हासिल किया, जो लोकसभा क्षेत्र के कुल मतदाताओं का 18.44% थे, और उन्हें कुल वोटों का 29.22% वोट मिले। 2014 के लोकसभा चुनाव में इस संसदीय सीट पर जीत का अंतर 92,390 वोटों का था।
2009 में सपा को मिली थी जीत
2009 के लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश की नगीना संसदीय सीट पर 1,196,566 मतदाता मौजूद थे। इनमें सपा प्रत्याशी यशवीर सिंह ने 234815 वोटों से जीत हासिल की। यशवीर सिंह को संसदीय क्षेत्र के कुल मतदाताओं में से 19.62% का समर्थन प्राप्त हुआ, और उन्होंने उस चुनाव में 36.49% वोट प्राप्त किये।
वहीं, उस चुनाव में दूसरे नंबर पर बीएसपी उम्मीदवार रामकृष्ण सिंह रहे थे, जिन्हें 175127 वोटरों का समर्थन मिला था। यह लोकसभा क्षेत्र के कुल मतदाताओं का 14.64% था, और उन्हें कुल वोटों का 27.22% वोट मिले। 2009 के लोकसभा चुनाव में इस संसदीय सीट पर जीत का अंतर 59,688 वोटों का था।
नगीना क्षेत्र का इतिहास
नगीना लोकसभा सीट 2009 में पहली बार अस्तित्व में आई। नगीना बिजनौर जिले की एक तहसील है। यह बिजनोर लोकसभा सीट का हिस्सा हुआ करता था, लेकिन 2008 में परिसीमन आयोग की सिफारिश के आधार पर इसे बिजनोर से अलग कर एक अलग लोकसभा क्षेत्र बना दिया गया। नगीना का शाब्दिक अर्थ “रत्न” या “आभूषण” है। इसे सैय्यद शासकों ने मुगलों से जागीर के रूप में पाया था। बाद में यह क्षेत्र 1857 के विद्रोह के दौरान प्रसिद्ध हुआ जब नजीबाबाद के नवाब और ब्रिटिश सेना के बीच बिजनौर में युद्ध हुआ।
इतिहास के पन्ने पलटें तो यहां 1919 में जलियांवाला बाग हत्याकांड जैसी ही एक घटना हुई थी। यहां स्थित पाईबाग में ब्रिटिश सेना ने निहत्थे लोगों पर अंधाधुंध गोलियां बरसाई, जिससे उनकी मौत हो गई। इस घटना के दौरान लगभग 150 लोग मारे गए थे, इसीलिए इसे नगीना का जलियांवाला बाग कहा गया।