Lok Sabha 2024: आने वाले चुनाव को लेकर राजनीतिक पार्टियां पूरे ताकत के साथ चुनाव प्रचार में लग गई है. वोटर्स को अपने पाले में लाने के लिए पार्टिया अपनी पूरी कोशिश करती नजर आ रही है. अगर बात करें भाजपा की तो उनका 400 पार का बुलंद है और उसी के साथ विपक्षी दलों की बात करें तो मोदी को जड़ से हटाने के लिए वह अपनी पुरजोर ताकत लगा रहे है. देश की राजनीति में उत्तर प्रदेश एक अहम भूमिका निभाता है जिसपर सबकी नजरें टिकी हुई है.
लोकसभा चुनाव (Lok Sabha 2024) में इसका बड़ा असर देखने को मिलता है. ऐसा इसलिए कहा जा रहा है क्योंकि लोकसभा की सबसे ज्यादा सीटें यूपी के खाते में मौजूद है. आपको बता दें की यूपी में लोकसभा की कुल 80 सीटे है. इसलिए कहा जाता है कि दिल्ली का रास्ता उत्तर प्रदेश से हो कर जाता हैं.
अबकी बार, 400 पार- भाजपा
इस बार के लोकसभा चुनाव (Lok Sabha 2024) को लेकर सरगर्मियां तेज होती नजर आ रही है, भाजपा का दावा है कि इस बार बिना कोई विकेट गिराए मैच की जीत का खिताब हासिल करेगी और अगर इसी के साथ अगर यूपी में विपक्षी दलों की बात करें तो सपा का नाम कैसे पीछे रह सकता है, उनका कहना है कि इस बार देश को बचाने के लिए भाजपा को किसी हालत मे हराना है. इसी लिए विपक्ष के सभी दलों ने एक साथ होकर भाजपा के खिलाफ चुनाव की रणनीति तैयार कर रहे है.
2019 में क्या था यूपी का माहौल
अगर बात की जाए पिछले लोकसभा चुनाव (Lok Sabha 2024) की तो सपा, बसपा और आरएलडी एक साथ होकर यूपी को मोर्चा विपक्ष के तौर पर संभाला था. लेकिन मोर्चा संभालने में पूरी तरह से असफल रह गए. अगर बात करे चुनावी फायदे और नुकसान की तो विपक्ष से भाजपा को थोड़ा नुकसान हुआ था. लेकिन इसी के साथ सपा को भी नुकसान का सामना करना पड़ा था. लेकिन बसपा को इस मौके पर फायदा हुआ था. चलिए आपको बताते है कि पिछले लोकसभा चुनाव 2019 में सियासत का खेला कैसे खेला गया था.
64 सीटें, एनडीए के हाथ- 2019
पिछले लोकसभा चुनाव 2019 (Lok Sabha 2019) में भाजपा का गठबंधन अपना दल (सोनेलाल) के साथ था. भाजपा ने इसमे 80 सीटों में से 62 सीटों पर अपना मुहर लगाने में कामयाब रही थी. जबकि अपना दल (सोनेलाल) ने 2 सीटों पर अपना परचम लहराया था. आपको बताते चले कि एनडीए गठबंधन के हिस्से में कुल 64 सीटें आई थी.
अगर बात करे 2014 की तो उसमें 9 सीटों का नुकसान भाजपा को झेलना पड़ा था. भाजपा ने कुल 78 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे. भाजपा के सोट में कुल 7.5 फीसदी की बढ़ोत्तरी देखने को मिली थी. आपको बताते चले कि एनडीए गठबंधन को 51.19 प्रतिशत वोट मिले थे जिसमें भाजपा के हिस्से 49.98 प्रतिशत वोट आए थे.
बसपा का मजा, सपा ने झेला
सपा,बसपा और आरएलडी का महागठबंधन सभी सियासी समीकरण को गलत साबित कर दिया था. महागठबंधन के हिस्से में सिर्फ 15 सीटें ही आई थी. सपा ने 5, बसपा ने 10 सीटों पर अपनी जीत दर्ज की थी जबकि आरएलडी के हाथ एक भी सीट नही आई थी इन्होने तीन सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे.
इस गठबंधन का सीधा फायदा बसपा यानी की मायावती को हुआ था जबकि 2014 के चुनाव में बसपा के हाथ एक भी सीट नही आई थी. बसपा के प्रदेश अध्यक्ष रहे आरएस कुशवाहा को भी हार का सामना करना पड़ा था. महागठबंधन को 39.23 प्रतिशत मत मिले थे, जिसमें सपा की हिस्सेदारी 18.11 प्रतिशत, बसपा के हिस्से 19.43 प्रतिशत और आरएलडी ने 1.69 की साझेदारी थी.
सपा के हाथ से फिसली थी 2 सीटें
सपा को बसपा से गठबंधन करने की वजह से भारी नुकसान उठाना पड़ा जिससे सपा के हाथ से 2 सीट फिसल गई. सपा ने 37 उम्मीदवारों को मैदान में उतारा था लेकिन जीत सिर्फ 5 सीटों पर ही हासिल हुई थी. सपा को मैनपूरी, रामपूर, संभल, आजमगढ़ और मुरादाबाद की सीट पर जीत हासिल हुई थी. मैनपूरी सपा की सबसे सुरक्षित सीटों में से एक है जिसपर कड़ी टक्कर देखने को मिली थी लेकिन इस सीट को मुलायम सिंह बचाने में सफल रहे थे.
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2019 में सपा को लगा था झटका
सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव ने अपना उम्मीदवारी आजमगढ़ से की थी और जीत भी हासिल की. बाद में इस सीट पर उपचुनाव हुआ और भाजपा के हाथ में चली गई थी. वहीं, कन्नौज सीट पर डिंपल यादव को टिकट मिला था और उन्हें भाजपा प्रत्याशी सुब्रत पाठक ने हराया दिया था. बदायूं से यादव परिवार के धर्मेंद्र यादव को भी हार का सामना करना पड़ा था और फिरोजाबाद से पार्टी अक्षय यादव को भी हार देखने को मिली थी.
कांग्रेस की हुई थी बुरी हार
अगर बात की जाए कांग्रेस की तो उनको बुरी हार का सामना करना पड़ा था. यूपी के 70 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे. जिनमें एक सीट छोड़कर बाकि 69 उम्मीदवारों को हार का सामना करना पड़ा था. इन्हें 6.36 फीसदी वोट मिले थे. 2014 लोकसभा चुनाव के मुकाबले इनका वोट 1.17 फीसद कम हो गया.
सिर्फ एक रायबरेली सीट से सोनिया गांधी ने अपनी जीत दर्ज कराई थी. पार्टी की सबसे बड़ी हार उसके अपने गढ़ अमेठी में हुई, जहां से राहुल गांधी को केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी से हाराया था. पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष रहे राजबब्बर को भी हार का सामना करना पड़ा था.
पीएम मोदी का जलवा था बरकरार
पीएम नरेंद्र मोदी ने बनारस सीट से 2014 के मुकाबले 2019 के लोकसभा में रिकॉर्ड तोड़ वोट अपने नाम किए थे. उन्हें टोटल 6 लाख 74 हजार 664 वोट मिले थे. वही, राजनाथ सिंह ने लखनऊ सीट से अटल बिहारी वाजपेयी की विरासत को दोबारा से अपने नाम किया. पार्टी के सभी केंद्रीय मंत्री चुनाव में जीत में जीत हासिल की थी.
केन्द्र सरकार में मंत्री और अपना दल (एस) की अनुप्रिया पटेल मिर्जापुर सीट को जीतने में कामयाब रही. साथ ही में रॉबर्ट्सगंज से अपने उम्मीदवार को जिताने में सफल रही. हालांकि योगी कैबिनेट में मंत्री रहे चार प्रत्याशियों ने हार का सामना किया, जिसमें मुकुट बिहारी वर्मा का भी नाम शामिल था. उनको भी अबेडकरनगर की सीट से हार का सामना करना पड़ा था.