PM Modi: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रूस की दो दिवसीय यात्रा पर जा रहे हैं। जहां वह रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ द्विपक्षीय वार्ता करेंगे। रूस और भारत के बीच संबंध दशकों पुराने हैं जो आज भी जारी हैं। वहीं, राष्ट्रपति पुतिन के साथ भी पीएम मोदी के रिश्ते काफी अच्छे हैं। तीसरी बार पीएम बनने के बाद मोदी पहली बार रूस की यात्रा पर जा रहे हैं। PM Modi की पुतिन से आखिरी मुलाकात सितंबर 2022 में उज्बेकिस्तान में एससीओ शिखर सम्मेलन के दौरान हुई थी।
पीएम मोदी का रूस दौरा… चीन-अमेरिका को संदेश, भारत के लिए ये हैं मायने
जबPM Modi का विशेष विमान मॉस्को में उतरेगा तो वहां की सर्द हवाओं में भी गर्मी की अनोखी लहर महसूस होगी। रूस और भारत के बीच संबंध नए नहीं हैं, ये शीत युद्ध के दौर से चले आ रहे हैं, लेकिन फरवरी 2022 में शुरू हुए यूक्रेन संघर्ष के बाद इन संबंधों का महत्व और बढ़ गया है।
#WATCH | PM Narendra Modi embarks on a three-day official visit to Russia and Austria
PM Modi and President Vladimir Putin will hold the 22nd India-Russia Annual Summit in Moscow. On 9th July, PM Modi will travel to Austria, where he will meet President Alexander Van der Bellen… pic.twitter.com/h2XuTdn79O
— ANI (@ANI) July 8, 2024
रूस और भारत के बीच दोस्ती उस समय से है जब दोनों देश अपने-अपने राजनीतिक और आर्थिक मुद्दों से जूझ रहे थे। शीत युद्ध के दौरान जब दुनिया दो गुटों में बंटी हुई थी, तब भारत और रूस ने एक-दूसरे का साथ दिया। वर्तमान में जब पश्चिमी देशों ने रूस पर प्रतिबंध लगा दिए हैं, तब भारत और चीन जैसे देश रूसी तेल के बड़े खरीदार बनकर उभरे हैं। यह स्थिति रूस के लिए भारत के सामरिक महत्व को दर्शाती है।
यूक्रेन संघर्ष और भारत की संतुलित नीति
PM Modi के नेतृत्व में भारत ने यूक्रेन संघर्ष पर संतुलित नीति अपनाई है। भारत ने इस संघर्ष के शांतिपूर्ण समाधान की वकालत की है और रूस की आलोचना करने से भी परहेज किया है। यह नीति भारत को किसी भी पक्ष को नाराज किए बिना अपनी विदेश नीति के हितों को संतुलित करने में मदद करती है।
रूस-चीन-भारत त्रिकोणीय चुनौतियां
रूस और भारत के संबंधों को नई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है क्योंकि भारत के मुख्य प्रतिद्वंद्वी रूस और चीन के बीच दोस्ती बढ़ रही है। इस त्रिकोणीय रिश्ते की जटिलता तब और भी स्पष्ट हो गई जब पीएम मोदी ने शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) शिखर सम्मेलन में भाग लेने के बजाय कजाकिस्तान के अस्ताना में आयोजित बैठक में अपने विदेश मंत्री को भेजा। इस बैठक में रूसी राष्ट्रपति पुतिन और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग भी मौजूद थे।
पीएम मोदी की मॉस्को वापसी
पीएम मोदी की रूस यात्रा की बात करें तो उनकी पिछली यात्रा 2019 में व्लादिवोस्तोक में एक आर्थिक मंच के लिए हुई थी, जबकि मॉस्को की उनकी आखिरी यात्रा 2015 में हुई थी। पुतिन और पीएम मोदी की आखिरी मुलाकात सितंबर 2022 में उज्बेकिस्तान में एससीओ शिखर सम्मेलन के दौरान हुई थी, जिसके बाद पुतिन 2021 में दिल्ली आए थे। दोनों नेता पिछले दस सालों में सोलह बार एक-दूसरे से मिल चुके हैं।
रक्षा संबंधों का ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य
भारत और रूस के बीच रक्षा संबंध भी काफी पुराने हैं। 1990 के दशक की शुरुआत में सोवियत संघ ने भारतीय सैन्य हथियारों का एक बड़ा हिस्सा मुहैया कराया था। भारतीय सेना के 70 प्रतिशत हथियार, वायुसेना की 80 प्रतिशत प्रणालियाँ तथा नौसेना के 85 प्रतिशत प्लेटफार्म सोवियत संघ द्वारा उपलब्ध कराए गए थे। भारत का पहला विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रमादित्य 2004 में रूस से खरीदा गया था, जो इन संबंधों की मजबूती का प्रमाण है।
यूक्रेन संघर्ष का प्रभाव तथा भारत की नई रणनीति
हालाँकि, यूक्रेन संघर्ष ने रूस की रक्षा आपूर्ति श्रृंखला को बाधित कर दिया है, जिससे भारत को अपनी सैन्य खरीद में विविधता लाने के लिए बाध्य होना पड़ा है। अमेरिका, इजरायल, फ्रांस तथा इटली के साथ नई रक्षा साझेदारी रूस पर अपनी निर्भरता कम करने की दिशा में भारत के रणनीतिक बदलाव को दर्शाती है।
Ahead of Indian PM Modi's Russia visit, infront of the Red Square & Kremlin in Moscow. They are preparing for a cultural welcome for the Indian PM. @WIONews pic.twitter.com/nzjA1FPQUr
— Sidhant Sibal (@sidhant) July 8, 2024
यात्रा का महत्व तथा विश्व को संदेश
मोदी की इस यात्रा के कई अर्थ हैं। पहला, यह यात्रा इस बात का संकेत है कि दुनिया में चाहे कितने भी उतार-चढ़ाव क्यों न हों, भारत तथा रूस के बीच संबंधों में गर्मजोशी बरकरार है। दूसरा, यह यात्रा भारत की विदेश नीति में संतुलन बनाए रखने के प्रयासों को दर्शाती है, खासकर चीन तथा अमेरिका जैसे बड़े खिलाड़ियों के साथ।
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रूस को भारत के साथ सामरिक और आर्थिक संबंधों को मजबूत करने का अवसर मिलेगा, खासकर अब जब पश्चिमी प्रतिबंधों ने रूस को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा है। भारत को वैश्विक स्तर पर अपनी जगह बनाने और रूस के साथ अपने संबंधों को मजबूत करने के लिए यह यात्रा एक महत्वपूर्ण कदम है।
मोदी की यात्रा पूरी दुनिया को यह संदेश देती है कि भारत एक महत्वपूर्ण वैश्विक खिलाड़ी है जो अपने राष्ट्रीय हितों की रक्षा करते हुए अपने संबंधों को संतुलित करने में सक्षम है। यह यात्रा इस बात का भी संकेत है कि भारत और रूस की दोस्ती समय की कसौटी पर खरी उतरेगी, चाहे परिस्थितियाँ कैसी भी हों।