लैटरल एंट्री के जरिए आरक्षण पर हमला
कांग्रेस सांसद और लोकसभा में विपक्ष के नेता, राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर सख्त निशाना साधते हुए कहा कि केंद्र सरकार देश के शीर्ष पदों पर वंचितों के प्रतिनिधित्व को समाप्त करने का प्रयास कर रही है। उन्होंने कहा कि लेटरल एंट्री के जरिए होने वाली भर्तियां सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी कर रहे युवाओं के हक पर डाका डाल रही हैं और आरक्षण की परिकल्पना पर चोट पहुंचा रही हैं।
लेटरल एंट्री के खिलाफ विपक्ष का विरोध
केंद्र सरकार द्वारा UPSC के माध्यम से विभिन्न मंत्रालयों में संयुक्त सचिव, उप सचिव और निदेशकों के 45 पदों पर भर्ती के लिए निकाले गए आवेदन को लेकर विपक्षी दलों ने कड़ा विरोध जताया है। राहुल गांधी के साथ समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव और बहुजन समाज पार्टी की प्रमुख मायावती ने भी इस प्रक्रिया को असंवैधानिक करार दिया है। अखिलेश यादव ने इसे सरकारी तंत्र पर कॉरपोरेट के कब्जे का आरोप लगाते हुए 2 अक्टूबर को बड़ा आंदोलन करने की घोषणा की है।
लैटरल एंट्री क्या है?
लेटरल एंट्री की शुरुआत 2018 में की गई थी, जिसके तहत केंद्र सरकार ने निजी क्षेत्र के अनुभवी उच्चाधिकारियों को विभिन्न सरकारी विभागों में नियुक्ति देने की प्रक्रिया शुरू की। इस प्रक्रिया के तहत उम्मीदवारों का चयन सिर्फ इंटरव्यू के आधार पर होता है, जिससे वे बिना UPSC की परीक्षा दिए बड़े पदों पर नियुक्त हो सकते हैं। इस साल सरकार ने 10 संयुक्त सचिव और 35 निदेशक/उप सचिव पदों के लिए आवेदन निकाले हैं, जिसके कारण विपक्ष ने सरकार पर संविधान का उल्लंघन करने का आरोप लगाया है।
आरक्षण का उल्लंघन
राहुल गांधी और अन्य विपक्षी नेताओं का कहना है कि लेटरल एंट्री के जरिए सरकार SC, ST और OBC वर्गों का आरक्षण खत्म कर रही है। उन्होंने कहा कि यदि UPSC सिविल सेवा परीक्षा के माध्यम से 45 पदों की भर्ती करता तो उसमें से लगभग 22-23 पद दलित, पिछड़ा और आदिवासी वर्गों के उम्मीदवारों के लिए आरक्षित होते। लेकिन लेटरल एंट्री के तहत यह आरक्षण नकारा जा रहा है।
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विपक्ष की मांग
राहुल गांधी ने यह भी कहा कि IAS का निजीकरण और उच्च पदों पर लैटरल एंट्री मोदी सरकार की आरक्षण खत्म करने की एक साजिश है। उन्होंने देश में सामाजिक न्याय को बरकरार रखने के लिए इन भर्तियों को तत्काल रोके जाने की मांग की है। मायावती ने भी इस भर्ती प्रक्रिया को असंवैधानिक बताते हुए कहा कि यह सरकारी कर्मचारियों के प्रमोशन के अवसरों को भी समाप्त कर देगी।
विपक्ष का आगामी आंदोलन
लेटरल एंट्री के खिलाफ विपक्षी दलों ने मिलकर आंदोलन की तैयारी कर ली है। अखिलेश यादव ने 2 अक्टूबर को इस स्कीम के खिलाफ बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन का ऐलान किया है। उन्होंने कहा कि सरकारी तंत्र पर कॉरपोरेट के कब्जे को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा, क्योंकि इससे अमीरों की पूंजीवादी सोच को बढ़ावा मिलेगा और वंचितों के अधिकारों का हनन होगा।