Arvind Kejriwal: CBI ने सुप्रीम कोर्ट में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की जमानत याचिका पर जवाबी हलफनामा दाखिल किया है। जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस उज्जल भुइयां की बेंच आज केजरीवाल की जमानत याचिका पर सुनवाई करेगी। 14 अगस्त, पिछली सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने CBI को नोटिस जारी करके केजरीवाल की अर्जी पर जवाब मांगा था। CBI ने अपनी प्रतिक्रिया में केजरीवाल को जमानत देने का विरोध किया है। सीबीआई ने जवाब देते हुए कहा कि केजरीवाल इस घोटाले के मालिक हैं।
“संतोषजनक जवाब नहीं दे रहे”
सीबीआई का कहना है कि Arvind Kejriwal, भले ही आबकारी विभाग के मंत्री नहीं थे, लेकिन वह इस घोटाले के प्रमुख योजनाकार थे। उनके अनुसार, केजरीवाल को घोटाले की हर जानकारी थी क्योंकि सभी निर्णय उनकी सहमति और निर्देशन में ही लिए गए थे। जांच एजेंसी ने यह भी कहा कि केजरीवाल उनके सवालों का संतोषजनक उत्तर नहीं दे रहे हैं और वह अदालत के समक्ष मामले को राजनीतिक रूप से सनसनीखेज बनाने का प्रयास कर रहे हैं।
मनीष सिसोदिया की जमानत और उम्मीदें
दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को हाल ही में आबकारी नीति से जुड़े मामले में 17 महीने की जेल के बाद जमानत मिली है। इसके बाद, आप नेताओं ने उम्मीद जताई है कि केजरीवाल को भी जल्द ही जमानत मिल सकती है।
हाईकोर्ट का आदेश और केजरीवाल का प्रभाव
हाईकोर्ट ने Arvind Kejriwal की याचिका को खारिज करते हुए कहा कि यह नहीं कहा जा सकता कि उनकी गिरफ्तारी बिना उचित कारण के थी या अवैध थी। अदालत ने निचली अदालत द्वारा केजरीवाल को गिरफ्तार करने और हिरासत में भेजने की अनुमति को उचित ठहराया। केजरीवाल का प्रभाव दिल्ली की सरकार और आम आदमी पार्टी दोनों पर है, और उनका अधिकारियों और नौकरशाहों के साथ घनिष्ठ संबंध भी है।
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पूछताछ और दस्तावेज़ों का सामना
हिरासत में पूछताछ के दौरान, केजरीवाल का सामना संवेदनशील दस्तावेज़ों और गवाहों के बयानों से कराया गया। कोर्ट का मानना है कि उनकी गिरफ्तारी कानून द्वारा स्थापित प्रक्रिया के तहत की गई है, और केजरीवाल को जमानत पर रिहा करने से मामले की सुनवाई पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है।
मेडिकल ग्राउंड पर जमानत की संभावना
मेडिकल ग्राउंड पर जमानत के दावे को खारिज करते हुए, अदालत ने कहा कि जेल में उनके इलाज की सभी सुविधाएं उपलब्ध हैं और उन्हें मेडिकल जमानत पर रिहा करने का कोई मामला नहीं बनता है। जमानत केवल तभी दी जानी चाहिए जब जेल में इलाज संभव न हो, जो कि इस मामले में नहीं है।