यूक्रेनी राष्ट्रपति वलोडिमिर जेलेंस्की (Volodymyr Zelensky) से मुलाकात के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत ने हमेशा शांति की कोशिश की है और कभी भी तटस्थ या निष्क्रिय नहीं रहा। जेलेंस्की ने भारत को दूसरे शांति सम्मेलन की मेजबानी का प्रस्ताव दिया है।
बीते रविवार को जेलेंस्की (Volodymyr Zelensky) ने भारतीय पत्रकारों से सोशल मीडिया पर बातचीत करते हुए बताया कि दूसरे शांति सम्मेलन को लेकर सऊदी अरब, कतर, तुर्की और स्विट्जरलैंड के साथ चर्चा चल रही है। उन्होंने भारत की मेजबानी का समर्थन करते हुए कहा कि ग्लोबल साउथ के देश इस शांति वार्ता के लिए आगे आएं। जेलेंस्की ने साफ किया कि शांति सम्मेलन किसी भी देश में नहीं हो सकता, बल्कि इसे ऐसे देशों में ही आयोजित किया जाना चाहिए जो शांति का समर्थन करते हैं, कब्जे का विरोध करते हैं और पहले सम्मेलन में शामिल रहे हैं।
प्रधानमंत्री मोदी ने भारत का पक्ष रखते हुए कहा कि यह संघर्ष केवल बातचीत और कूटनीति के जरिए ही सुलझ सकता है और भारत शांति की दिशा में अपनी जिम्मेदारी (Volodymyr Zelensky) निभाने के लिए तैयार है। यूक्रेन का कहना है कि वह युद्ध को खत्म करना चाहता है, लेकिन यह कीव की शर्तों पर होगा, न कि रूस की शर्तों पर।
यूक्रेन इस साल के अंत में दूसरा अंतर्राष्ट्रीय शिखर सम्मेलन आयोजित करने पर जोर दे रहा है, जिसमें उसकी शांति शर्तों पर चर्चा हो और इसमें रूस के प्रतिनिधि भी शामिल हों। जून में स्विट्जरलैंड में आयोजित पहले शिखर सम्मेलन में रूस शामिल नहीं हुआ था। हालांकि, भारत समेत कई वैश्विक शक्तियों ने इसमें भाग लिया था, जबकि चीन जो दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है, ने कोई प्रतिनिधि नहीं भेजा था। अब यह देखना होगा कि यूक्रेन के इस प्रस्ताव पर भारत क्या निर्णय लेता है।
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बता दें, कि इससे पहले प्रधानमंत्री मोदी ने जुलाई में मास्को का दौरा किया था। पीएम के इस दौरे की जेलेंस्की (Volodymyr Zelensky) ने कड़ी आलोचना की थी। उन्होंने कहा था, यह बहुत निराशाजनक है और शांति प्रयासों के लिए एक बड़ा झटका है कि दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के नेता दुनिया के सबसे बड़े युद्ध अपराधी को गले लगा रहे हैं।