Jammu Kashmir Ganderbal Terror Attack : जम्मू-कश्मीर के गांदरबल में हुए आतंकी हमले का सच बेहद भयावह है। आतंकियों ने विकास की दिशा में आगे बढ़ रहे मजदूरों को निशाना बनाकर कायरता का प्रदर्शन किया है। कश्मीर में धारा 370 हटने के बाद उमर अब्दुल्ला की नई सरकार के गठन के बाद यह पहला मौका है जब आतंकियों ने किसी विकास परियोजना को लक्ष्य बनाया है। जिस जेड-मोड टनल पर ये मजदूर काम कर रहे थे, वह भारत सरकार के महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट्स में से एक है। खुफिया और सुरक्षा एजेंसियों के अनुसार, नई सरकार बनने के बाद इस हमले में सबसे पहले द रेजिस्टेंस फ्रंट (टीआरएफ) का नाम सामने आ रहा है।
TRF ने माइग्रेंट्स को बनाया निशाना
टीआरएफ का नाम तब मुख्यधारा में आया जब उसने 2020 में बीजेपी कार्यकर्ताओं फिदा हुसैन, उमर राशिद बेग और उमर हाजम की कुलगाम में बेरहमी से हत्या की थी। टीआरएफ कश्मीर में ऐसा माहौल वापस लाना चाहता है जैसा कि 90 के दशक में था। टीआरएफ के आतंकवादी विशेष रूप से टारगेट किलिंग पर ध्यान केंद्रित करते हैं और वे आमतौर पर गैर-कश्मीरियों को निशाना बनाते हैं, ताकि बाहरी राज्यों से लोग जम्मू-कश्मीर आने से हिचकिचाएँ।
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26 फरवरी, 2023 को, संजय शर्मा अपनी पत्नी के साथ कश्मीर के पुलवामा में एक स्थानीय बाजार जा रहे थे, तभी आतंकवादियों ने उन पर गोलियां चलाईं। सुरक्षाकर्मी के रूप में काम करने वाले शर्मा को तुरंत अस्पताल ले जाया गया, लेकिन गोली लगने के कारण उनकी मौत हो गई। इस हत्या के पीछे द रेजिस्टेंस फ्रंट (TRF) का हाथ था। TRF ने शर्मा की हत्या का एकमात्र कारण यह बताया कि वे एक कश्मीरी पंडित थे। 2019 में अस्तित्व में आने के बाद से, यह आतंकवादी संगठन दर्जनों आतंकी हमलों में संलग्न रहा है, विशेष रूप से घाटी में अल्पसंख्यक कश्मीरी पंडितों को निशाना बनाते हुए।